मोतिहारी. लोकसभा चुनाव के पहले बिहार में भाजपा को एक और बड़ा साथ मिला है. पार्टी ने एक साथ सियासी और जातीय समीकरण को साधने में बड़ी सफलता मोतिहारी में हासिल की है. यहां कद्दावर नेता और कई बार के विधायक रहे हरिशंकर शर्मा की पुत्र वधु नीता शर्मा ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया. नीता शर्मा पिछले लम्बे अरसे से सियासत में सक्रिय हैं. वह पहले 2001 में संग्रामपुर से जिला परिषद सदस्य और 2015 में केसरिया से विधानसभा प्रत्याशी रह चुकी हैं. नीता ने हजारों समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामकर यहां के लोकसभा में सियासी समीकरण भी बदल दिया है.
दरअसल, मोतिहारी की प्रसिद्ध समाजसेविका के तौर पर नीता शर्मा की पहचान है. रंजन गैस एजेंसी की मालिक, केसरिया और गोविंदगंज से कई बार विधायक रहे राय हरिशंकर शर्मा की पुत्र वधु होने के कारण इस इलाके में नीता शर्मा की खासी लोकप्रियता है. इतना ही नहीं हरिशंकर शर्मा की पहचान पूर्वी चंपारण के उन नेताओं में रही है जो पुराने जनसंघी रहे हैं. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबियों में एक माने जाते रहे. अब उनकी बहू के भाजपा में आने से लोकसभा चुनाव के पूर्व एक बड़ी सियासी रणनीति के तौर पर इसे देखा जा रहा है. नीता ने भाजपा में शामिल होकर चुनावी सरगर्मी बढ़ा दी है.
लोकसभा चुनाव में दांव : पिछले कुछ समय से यह चर्चा जोरों पर है कि मोतिहारी में सांसद राधामोहन सिंह की जगह भाजपा किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है. इन सबके बीच नीता शर्मा ने भाजपा की सदस्यता ली। संयोग से नीता शर्मा ने भाजपा की सदस्यता भी राधामोहन सिंह के नेतृत्व में लिया है. बताते चले की इससे पहले नीता शर्मा के पति राय शिवा रंजन शर्मा भी केसरिया विधानसभा से प्रत्यासी रह चुके है। वहीं उनके ससुर राय हरिशंकर शर्मा पूर्वी चंपारण जिले के किसान और जेपी आंदोलन के सबसे बड़े नेता माने जाते थे और अटल बिहारी बाजपेई के करीबियों में से एक थे।
भूमिहार को साधने की कोशिश : भूमिहार बहुल पूर्वी चंपारण सीट पर नीता शर्मा के आनन आनन के भाजपा में शामिल होने से चर्चा का बाजार गर्म है। नीता शर्मा खुद को एक कार्यकर्ता बताती है और राधामोहन सिंह के नेतृत्व में पार्टी का काम करते रहने की बात करती है। हालंकि सियासी जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव दोनों में नीता शर्मा के भाजपा में आने से भूमिहार वोटों को साधने में बीजेपी सफल रह सकती है. अब तक राजद में रही नीता शर्मा के भाजपा में आने के साथ ही कई अन्य राजद नेताओं ने भी कमल को थाम लिया है. यह लोकसभा चुनाव के पहले राजद पर भाजपा की बड़ी रणनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.