DESK. स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पर जीएसटी वापस लेने की मांग को लेकर संसद के मकर द्वार के बाहर मंगलवार को विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया. मेडिकल और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले जीएसटी को हटाने या कम करने की मांग के बीच सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में लगने वाले टैक्स से सरकार को 21,256 करोड़ रुपये मिले हैं, जिसमें 2023-24 के दौरान 8,263 रुपये सरकार के खाते में आए हैं.
संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 24 तक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से जीएसटी संग्रह 21,000 करोड़ रुपये से अधिक था, जबकि स्वास्थ्य पुनर्बीमा प्रीमियम से लगभग 1,500 करोड़ रुपये था. वहीं, बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के परिसंघ ‘जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन’ ने जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का विरोध करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।
बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के परिसंघ ‘जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन’ के महासचिव त्रिलोकसिह तथा क्लास-1 अधिकारियों के संगठन के महासचिव दर्शन कुमार वाधवा ने सोमवार को यहां संयुक्त रूप से जारी बयान में कहा कि सरकार का यह फैसला अनुचित है और इससे स्वास्थ्य तथा जीवन बीमा पर 18 प्रतिशत की जीएसटी नीति बीमाधारकों की सामाजिक सुरक्षा पर बड़ा बोझ बन गया है। उनका कहना था कि जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा का मकसद बीमारी, दुर्घटना तथा अकाल मृत्यु की स्थिति में परिजनों को वित्तीय सुरक्षा और समर्थन प्रदान करना है, लेकिन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी बढ़ाने से आम लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा इसलिए जीएसटी बढाने का फैसला वापस लिया जाना चाहिए।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बीते 28 जुलाई को एक पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस पर लागू जीएसटी (GST On Medical Insurance) हटाने की मांग की थी. उन्होंने इस टैक्स को 'जिंदगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने जैसा' करार दिया था. इंश्योरेंस पर जीएसटी आपके प्रीमियम की राशि में इजाफा करता है और आपको ज्यादा खर्च करना पड़ता है.