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केके पाठक और पटना डीएम में सीधी भिडंत! , जिलाधिकारी ने चेताया अगर हमारा आदेश तोड़ा तो छह महीने की हो सकती है जेल

केके पाठक और पटना डीएम में सीधी भिडंत! , जिलाधिकारी ने चेताया अगर हमारा आदेश तोड़ा तो छह महीने की हो सकती है जेल

पटना के जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर ने  शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक  को तगड़ा जवाब दिया है. पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह कड़ाके की ठंड में बच्चों को छुट्टी देने के मामले में केके पाठक के आदेश के खिलाफ अड़ गए हैं . उन्होंने माध्यमिक शिक्षा  निदेशक को इस बाबत कड़ा पत्र लिखा है. ठंड में स्कूलों को खोलने के केके पाठक के आदेश के खिलाफ पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह अड़ गए हैं. डीएम ने कहा है कि जिला दंडाधिकारी के आदेश की अवहेलना करने पर छह माह के जेल की सजा हो सकती है.यहीं नहीं एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों हो सकता है अगर जिला दंडाधिकारी के आदेश की अवहेलना की जाती है.  जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह  23 जनवरी तक आठवीं कक्षा के स्कूलों को बंद रखने के अपने आदेश पर कायम हैं.माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे जवाबी पत्र में जिलाधिकारी ने उनके आदेश की अवहेलना करने वालों को दंड के प्रावधान की बात की है जिसमें छह महीने जेल के सजा का प्रावधान है. पत्र के अंत में डीएम ने  लिखा है कि है कि यदि ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य, या क्षेग को संकट कारित करे, या कारित करने की प्रवृत्ति रखती हो. या बल्या या दंगा कारित करती हो, या कारित करने की प्रवृत्ति रखत हो, तो यह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि छः मास तक की हो सकेगी, जुर्माने से, जो एक हजार रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा".

सरकारी स्कूलों में कक्षा संचालित करने के शिक्षा विभाग के निर्देश को जिलाधिकारी ने मौजूदा हालात को देखते हुए अप्रासंगिक करार देते हुए  अपने पत्र में कहा है कि कड़ाके की ठंड के मद्देनजर आठवीं तक स्कूल बंद किए गए हैं. स्कूल बंद करने से पहले शिक्षा विभाग की अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है. डीएम चंद्रशेखर तल्ख होते हुए लिखा है कि 1973 की धारा-144 के तहत पटना जिला के सभी निजी/सरकारी विद्यालयों (प्री-स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं कोचिंग सेन्टर सहित) में वर्ग-8 तक की शैक्षणिक गतिविधियों पर अधोहस्ताक्षरी के आदेश ज्ञापांक-997/वि०, दिनांक- 21.01.2024 द्वारा दिनांक-23.01.2024 तक प्रतिबंध लगाया गया है। कक्षा-9 से ऊपर की शैक्षणिक गतिविधियों को पर्याप्त सावधानी के साथ जारी रखा गया है.

डीएम डॉ चंद्रशेखर ने आगे लिखा है कि  दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-144 में उल्लिखित है कि "उन मामलों में, जिनमें जिला दण्डाधिकारी की राय में इस धारा के अधीन कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है और तुरंत निवारण या शीघ्र उपचार करना वांछनीय है, वह ऐसे लिखित आदेश द्वारा-- किसी व्यक्ति को कार्य विशेष न करने या अपने कब्जे की या अपने प्रबंधाधीन किसी विशिष्ट सम्पत्ति की कोई विशिष्ट व्यवस्था करने का निदेश उस दशा में दे सकता है जिसमें जिला दण्डाधिकारी समझता है कि ऐसे निदेश से यह संभाव्य है, या ऐसे निदेश की यह प्रवृति है कि विधिपूर्वक नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, क्षोभ या क्षति का, या मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को खतरे का. या लोक प्रशांति विक्षुब्ध होने का, या बलवे या दंगे का निवारण हो जाएगा".

डीएम ने आगे लिखा है कि साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-144 के तहत निर्गत आदेश की अवेहलना/उल्लंघन करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा-188 में निम्नवत दण्डात्मक प्रावधान किया गया है:-

"जो कोई यह जानते हुए कि वह ऐसे लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किसी आदेश से, जो ऐसे आदेश को प्रख्यापित करने के लिए विधिपूर्वक सशका है, वह कोई कार्य करने से विरत रहने के लिए या अपने कब्जे में की, या अपने प्रबंधाधीन, किसी संपत्ति के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है, ऐसे निदेश की अवज्ञा करेगा . यदि ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य, या क्षेम को संकट कारित करे, या कारित करने की प्रवृत्ति रखती हो, या बल्या या पंचा कारित करती हो, या कारित करने की प्रवृति रखती हो, तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधिभात तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दकित किया जाएगा.ज्ञातव्य हो कि पटना जिले में अत्यधिक कम तापमान एवं शीत दिवस के कारण बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन के खतरे में पड़ने की प्रबल संभावना है.

बहरहाल शीतदिवस में सकूल को बंद करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. केके पाठक के आदेश को चुनौती देते हुए पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को बता दिया है कि इस मामले में कानून उन्हें शिक्षा विभाग से मंतव्य लेने की जरुरत नहीं है.



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