DARBHANGA : डीएमसीएच के मेडिकल विभाग के विभागाध्यत्र डॉ. यू.सी. झा ने अस्पताल प्रबंधन, प्रशासन और सरकार के खिलाफ दिए गए अपने बयान से पीछे हट गए हैं। अपने ताजा बयान में उन्होंने कहा है कि डी.एम.सी.एच. में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी से निपटने में जिला प्रशासन और डी.एम.सी.एच. का पूर्णतया सहयोग मिल रहा है। जबकि इससे पहले उन्होंने आरोप लगाए थे कि महामारी से लड़ने प्रबंधन और प्रशासन से सहयोग नहीं मिल रहा है। जिसके बाद उन्होंने एक लेटर लिखकर खुद को पद मुक्त करने की मांग की थी।
राज्य स्तर तक पहुंच चुका था मुद्दा
डीएमसीएच के मेडिसिन विभागाध्यक्ष के पद छोड़ने को लेकर जिस तरह के आरोप लगाए थे, जिसके बाद यह मामला राज्य स्तर तक पहुंच गया था। खुद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लेटर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से इस्तीफे की मांग कर डाली थी।
कुछ ही घंटे में बदल दिया बयान
चौंकानेवाली बात यह है कि कुछ घंटे पहले तक जिस अधिकारी ने अस्पताल की लचर व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए थे और खुद को पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने की मांग की थी। उसने कुछ ही देर में अपने आरोप वापस ले लिए। उन्होंने कहा कि डी.एम.सी.एच. के सभी बेड पर मरीज इलाजरत हैं और कुछ पल के लिए ऑक्सीजन की कमी होने पर उन्होंने भावुक होकर यह पत्र डी.एम.सी.एच. के प्राचार्य को लिखा और यह किसी तरह मीडिया में वायरल हो गया, लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति प्राप्त होते ही उन्हें इस पत्र पर अफसोस भी हुआ।
उन्होंने कहा है कि डी.एम.सी.एच. में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। सभी आवश्यक दवाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। डी.एम.सी.एच. एवं जिला प्रशासन में पूर्णतयः समन्वय बना हुआ है तथा जिला प्रशासन द्वारा पल-पल डी.एम.सी.एच. की निगरानी एवं अनुश्रवण किया जा रहा है। वर्तमान में सभी बेड पर कोविड पॉजिटिव मरीज ईलाजरत हैं और उनका अच्छी तरह से ख्याल रखा जा रहा है, अब डी.एम.सी.एच. में कोई समस्या नहीं है। सभी चिकित्सक, नर्स एवं पारा मेडिकल स्टाफ लगातार कार्य कर रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले मेडिसिन एचओडी के लिखे लेटर से पूरे स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज में कोरोना और दूसरे बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए न तो पर्याप्त दवा है और न ही ऑक्सीजन उपलब्ध है। अस्पताल के एमएस और प्राचार्य को त्राहिमाम लेटर लिखे जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।