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पी ल तब गेल बेटा, बिहार में नकली शराब की अवैध सप्लाई धड़ल्ले से, पटना के लैब की जांच रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा...पैकिंग असली, दारू नकली...सावधान!

पी ल तब गेल बेटा, बिहार में नकली शराब की अवैध सप्लाई धड़ल्ले से, पटना के लैब की जांच रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा...पैकिंग असली, दारू नकली...सावधान!

बिहार में साल 2016 के अप्रैल माह से आधिकारिक तौर पर शराबबंदी लागू है, लेकिन सूबे के अलग-अलग हिस्सों में  शराब पकड़ी जा रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि सूबे में पकड़ी गई तस्करी की अंग्रेजी शराब में से अस्सी से पीचासी फिसदी शराब नकली होती है. ये हम नहीं बता रहे है, इसका खुलासा हुआ है मद्य निषेध विभाग के पटना के कुम्हरार में मौजूद इकलौते लैब की जांच से. बता दें जब्त की गई तस्करी की शराब की सैंपल की जांच उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने लैब में कराई तो इसकी जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ.

जानकारों का कहना है कि इसको पीने से मौत तो नहीं होती लेकिन इस तरह की नकली शराब का निर्माण बिहार के बाहर अवैध तरीके से किया जाता है. पानी और नशीली दवाओं को मिला कर इसे बनाया जाता है.  इसको पीने के तुरंत बाद तो इसका असर नहीं पड़ता लेकिन स्वास्थ्य पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ता है.अंग्रेजी शराबों की बोतलें और इन पर चिपके रैपर, पैकिंग के डब्बे तो एकदम असली की तरह होते हैं, लेकिन इनके अंदर का माल नकली होता है. 

राज्य में जब्त शराब की जांच के लिए पटना के अलावा पूर्णिया, दरभंगा, भागलपुर और मुजफ्फरपुर में इसकी स्थापना होने जा रही है ताकि संबंधित इलाके के सैंपलों की जांच जल्द हो सके. राज्यभर में एक ही लैब होने के कारण जांच रिपोर्ट आने में देरी होती है.

बिहार में साल 2016 के अप्रैल माह से आधिकारिक तौर पर शराबबंदी लागू है, लेकिन सूबे के अलग-अलग हिस्सों में पकड़ी जाने वाली शराब और ज़हरीली शराब की खेप के साथ ही होने वाली मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को लागू रखने के पक्ष में जो दलीलें देते हैं, उन दलीलों में वे इस बात पर हमेशा ज़ोर देते हैं कि कैसे जब सूबे में शराबबंदी लागू की गई तब यह सर्वसम्मति से किया गया था. शराबबंदी को लागू करने के लिए जो सोशल स्क्वॉयड बनाने की जरूरत थी वो तो हुआ नहीं. धरपकड़ के नाम पर कैरियर और पेडलर पकड़े जा रहे और शराब बनानेवाले तो कहीं पकड़ में आते नहीं. सरकार जहां शराबबंदी को लेकर कई मौक़ों पर अपनी पीठ थपथपाती दिखती है, वहीं 'होम डिलिवरी' और 'शराब माफिया' जैसे शब्द लोगों के बीच आम बोलचाल का हिस्सा बन चुके हैं. ऐसे में तस्करी की अंग्रेजी शराब में से अस्सी से पीचासी फिसदी शराब का नकली होना चिंता का विषय तो है हीं.

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