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रेलवे के एक गलत टेंडर के कारण मनिहारी में दशकों से चले आ रहे बिहार-झारखंड के जलमार्ग के रिश्ते पर छाया संकट, जाने क्या किया है रेलवे ने

रेलवे के एक गलत टेंडर के कारण मनिहारी में दशकों से चले आ रहे बिहार-झारखंड के जलमार्ग के रिश्ते पर छाया संकट, जाने क्या किया है रेलवे ने

KATIHAR : रेलवे द्वारा एक गलत टेंडर के कारण कटिहार मनिहारी गंगा घाट से जुड़े बिहार-झारखंड के जलमार्ग के रिश्ते पर संकट छा गया है। स्थिति यह है इस माल ढूलाई के लिए प्रसिद्ध इस रास्ते को अब बंद होने की स्थिति हो गई है। साथ ही यहां काम करनेवाले लोगों का रोजगार भी छिनने का डर सताने लगा है।  ऐसे में अब लोग इसके लिए कटिहार जिला प्रशासन से गुहार लगाकर निदान की मांग कर रहे हैं, ताकि रेलवे ने जो गलती की है, उसे दूर किया जा सके। फिलहाल, जिला प्रशासन जल्द उचित पहल का भरोसा दे रहे हैं।

जमीन इस्तेमाल करने का मांगा पैसा

दरअसल, कटिहार के मनिहारी गंगा घाट होकर हर रोज हजारों आदमी जल मार्ग से बिहार-झारखंड की दूरी तय करते हैं, लेकिन अब इस पर ब्रेक लगने की स्थिति उत्पन्न्न हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि मनिहारी गंगा घाट में रेलवे ने अपने जमीन को मोटी रकम पर लीज पर दे दिया है। जिसके बाद रेलवे द्वारा दिए गए टेंडर के तहत उनके जमीन होकर जब मालवाहक जहाज से ट्रक उतरने के बाद ट्रक क्रॉस करता है तो प्रति खाली ट्रक दो सौ  और प्रति लोडेड ट्रक ढाई सौ लिया जा रहा है, इससे बड़ी रकम के कारण ट्रक मालिकों ने विरोध के तहत इसे बंद कर दिया है।

सावन के माह में बढ़ जाता है प्रयोग

दूसरी तरफ फेरी सेवा से जुड़े टेंडर लेने वाले भी विरोध के तहत फेरी सेवा ही बंद करवा दिया है, जिस कारण आम लोग काफी परेशान हैं। सावन के महीने में इसी जलमार्ग होकर नेपाल से लेकर असम तक के लोग बाबा नगरी भी इसी जलमार्ग हो कर जाते हैं, ऐसे में मजबूरी में लोग जान जोखिम में डालकर उफनती गंगा में छोटी नाव के सवारी के लिए मजबूर है जो किसी हादसे का बड़ा बजह बन सकता है

बता दें कि झारखंड और बिहार में फेरी सेवा एक्ट के तहत जहाज परिचालन से जुड़े तमाम सुविधा बहाल करवाने के जिम्मेदारी कटिहार प्रशासन पर है, ऐसे में स्थानीय लोग और मनिहारी फेरी सेवा के टेंडर लेने वाले  जिलाधिकारी से इस समस्या का जल्द निदान का गुहार लगा रहे हैं।

डीएम ने दिया भरोसा

 मामले में कटिहार जिला अधिकारी ने कहा कि इस मामले में उनसे कटिहार डीआरएम की बात हुआ है और अब रेलवे द्वारा जारी टेंडर प्रक्रिया को लेकर सुधार की बात कही जा रही है, इस बाबत कटिहार जिला प्रशासन द्वारा एक पत्र भी दिया गया है जल्द इस समस्या का निदान कर लिया जाएगा।

सवाल उठता है जब वर्षों से चले आ रहे मनिहारी गंगा घाट के तमाम व्यवस्था बिहार सरकार और कटिहार जिला प्रशासन द्वारा ही संचालित होता आ रहा है तब क्या रेलवे को उस स्थल से जुड़े टेंडर से पहले बिहार सरकार या कटिहार जिला प्रशासन का पक्ष नहीं सुनना चाहिए था, दोनों सरकार में या दोनों प्रशासन में ऐसे कोआर्डिनेशन के अभाव से जो लोगों की परेशानी हो रहा है इसकी जिम्मेदार आखिर कौन है..?


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