PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर नीतीश को बैठाना अब तक की सबसे बड़ी भूल थी. लोग उनके चरित्र को पूरी तरह से समझ नहीं, यहां तक कि जार्ज फर्नांडिस साहब भी उन्हें पूरी तरह से समझ पाने में नाकाम रहे। यह कहना है पूर्व सांसद और लोजपा राम विलास के वरिष्ठ नेता डा. अरुण कुमार का। इसका परिणाम उन्हें भी भुगतना पड़ा, दिग्विजय सिंह को भुगतना पड़ा। मुझे भी भुगतना पड़ा, लेकिन मैं मजबूत था, इसलिए संभल गया, लेकिन वह नहीं संभल पाए। डा. कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार का उत्पीड़न से लोगों को मुक्ति मिलना जरूरी है। उनके शासन में बिहार में दस साल तक नौकरी पाने के लिए इंतजार करना पड़ा
लोजपा और जदयू के बीच मतभेद पर बात करते हुए अरुण कुमार ने कहा चिराग और नीतीश कुमार के सोच का इतना अंतर है दोनों की राहें कभी एक साथ नहीं हो सकता। मोकामा में यह दिख गया कि चिराग को खत्म करने की साजिश में नीतीश कुमार पूरी तरह से फेल हो गए। बिहार में हाल के सालों में कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिला कि 40 किमी लंबा रोड शो किया गया हो। चिराग के लिए जितनी भीड़ जुटी, वह बताता है कि आनेवाले समय में बिहार की राजनीति का केंद्र चिराग पासवान ही होंगे।
पारस सिर्फ मंत्री बनना चाहते थे
न्यूज4नेशन से बात करते हुए अरूण कुमार ने बताया कि जहां तक पशुपति पारस की बात है कि उनकी एक ही महात्वाकांक्षा थी कि केंद्र में मंत्री बनना है. जिसके लिए उन्होंने अपने बड़े भाई के दिवंगत होते ही अपना असली रूप दिखा दिया। जिस भाई की पार्टी ने उन्हें पहचान दी। उसी पार्टी को तोड़ दिया, पूरा परिवार तोड़ दिया। आज वह कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। मोकामा में कुछ दिन पहले गए, लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा, लेकिन जैसे ही चिराग मोकामा पहुंचे, स्थिति काफी हद तक बदल गई।
मंत्री बनने की चाहत नहीं
चिराग पासवान के केंद्र में मंत्री बनने की चर्चा को लेकर डा. अरूण कुमार ने साफ कहा उन्हें इसका कोई लालच नहीं है। जिनका पूरा बचपन एक मंत्री के गोद में गुजरा है, उनके लिए मंत्री बनना बड़ी बात नहीं है। बचपन से उनके घर में अटल बिहार वाजपेयी से लेकर शायद ही कोई नेता होगा जो वहां न आता रहा हो.