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एक्सक्लूसिव ! CM साहब...निगम बड़ा या विभाग ? सरकार ने इंजीनियर को 'पुल' की जलसमाधि का बताया गुनाहगार और कर दिया सस्पेंड, अगले दिन 'पुल निगम' ने उसी 'अभियंता' का कर दिया ट्रांसफऱ...

एक्सक्लूसिव ! CM साहब...निगम बड़ा या विभाग ? सरकार ने इंजीनियर को 'पुल' की जलसमाधि का बताया गुनाहगार और कर दिया सस्पेंड, अगले दिन 'पुल निगम' ने उसी 'अभियंता' का कर दिया ट्रांसफऱ...

PATNA:  गंगा नदी के सुल्तानगंज-अगुआनी घाट पर निर्माणाधीन पुल रविवार को जलसमाधि ले ली. इसी के साथ सुशासन राज के इकबाल की भी जल समाधि हो गई। पुल के जल समाधि लेने के बाद एक बड़े घोटाले से पर्दा उठ गया. इस बड़े घपले में बड़े-बड़े अफसर व ठेकेदार के गठजोड़ की कलई खुल गई। पुल के गंगा नदी में जल समाधि लेने के बाद अब सिस्टम का खेल चालू हो गया है. बड़ी मछलियों को बचाने को लेकर पत्ते फेके जाने लगे हैं. खुद का दामन बचाने को लेकर बड़े-बड़े हाकिम जुट गए हैं. जांच के नाम पर लीपापोती का खेल चालू है.

निलंबन के बाद ट्रांसफऱ..है न आश्चर्यजनक 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन राज में विभाग और निगम किस तरह काम करता है, सुलतानगंज-अगुआनी घाट पुल के जल समाधि लेने में एक बार फिर से देखने को मिला है. पथ निर्माण विभाग ने सुलतानगंज-अगुआनी घाट पर 1700 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल के ध्वस्त होने के लिए पुल निगम के वरीय परियोजना अभियंता योगेन्द्र कुमार को जिम्मेदार माना और 5 जून को सस्पेंड कर दिया. अब उसी इंजीनियर को पुल निर्माण निगम ने एक दिन बाद यानि 6 जून को ट्रांसफऱ किया है. यानि निगम को पता ही नहीं उसके अभियंता को पथ निर्माण विभाग ने सस्पेंड किया है. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के एमडी ने 6 जून के आदेश में कहा है कि वरीय परियोजना अभियंता, विशेष कार्य प्रमंडल खगड़िया.. योगेन्द्र कुमार को वर्तमान पदस्थापन से स्थानांतरित कर निगम मुख्यालय में अगले आदेश तक पदस्थापित किया जाता है. इसी आदेश में यह भी कहा गया है कि इनकी जगह पर वरीय परियोजना अभियंता, गया.. शशि भूषण सिंह को पदस्थापित किया जाता है. इस संबंध में निगम का कार्यालय आदेश संख्या-52 जारी किया गया है. 

पथ निर्माण विभाग ने 5 जून को किया था निलंबित

अब जरा पथ निर्माण विभाग का आदेश जानिए. विभाग के अधिसूचना संख्या-3236,दिनांक 5 जून में कहा गया है कि सुल्तानगंज-अगुआनी घाट पर गंगा नदी में निर्माणाधीन पुल के पीलर सहित सुपर स्ट्रक्चर ध्वस्त होने की उच्च स्तरीय जांच कराई गई। समीक्षा में उक्त परियोजना से संबंधित इंजीनियरों को चिन्हित कर कार्रवाई का निदेश दिया गया. समीक्षा में इस परियोजना के इंजीनियर योगेन्द्र कुमार की लापरवाही प्रतीत होती है. इस आलोक में इन्हें सस्पेंड किया जाता है. निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय पटना सचिवालय निर्धारित किया जाता है. आखिर पुल निर्माण निगम ने निलंबित इंजीनियर को कैसे ट्रांसफर कर दिया, इस बारे में बताने को निगम तैयार नहीं. हमने निगम के एमडी नीरज सक्सेना से संपर्क करने की कोशिश की, व्हाट्सअप्प मैसेज भी किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. 






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