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पहले चरण का चुनाव: बेला पंचायत में दिखी अव्यवस्था, खूब हुआ बवाल, लालटेन, टॉर्च के सहारे 10 बजे रात तक गिरे वोट

पहले चरण का चुनाव: बेला पंचायत में दिखी अव्यवस्था, खूब हुआ बवाल, लालटेन, टॉर्च के सहारे 10 बजे रात तक गिरे वोट

AURANGABAD: बिहार में शुक्रवार को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ। हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच वोटरों का उत्साह भारी पड़ा और लोगों ने जमकर मतदान किया। इसी बीच औरंगाबाद जिले के बेला पंचायत में वोटरों का उत्साह इतना ज्यादा रहा कि वहां रात 10 बजे तक मतदान चलता रहा। आप सोच रहे होंगे कि इतनी देर तक वहां मतदान करने की अनुमति कैसे मिली? तो आपको बता दें कि यह सब चुनाव पदाधिकारियों की अव्यवस्था के कारण हुआ।

इतिहास में दर्ज हो गई देर रात तक वोटिंग

भले ही यहां किसी की भी गलती हो, मगर यह बात इतिहास में दर्ज हो गई कि पंचायत चुनाव के पहले चरण में औरंगाबाद के सदर प्रखंड में बेला पंचायत के जरमाखाप स्थित बूथ में रात 10 बजे तक वोटिंग हुई। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब मतदान की निर्धारित अवधि बीतने के बावजूद भी लालटेन की रौशनी में रात के करीब 10 बजे तक वोटिंग हुई। यहां गलती चुनाव कराने वाले पदाधिकारियों की थी, जिसका खामियाजा वोटरों को भुगतना पड़ा।

EVM में लगातार आती रही गड़बड़ी

इस बार के पंचायत चुनाव में पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। कई जगहों पर यह व्यवस्था कारगर दिखी। हालांकि बेला पंचायत के जरमाखाप स्थित बूथ में नजारा उलट रहा। यहां पहले तो निर्धारित समय के मुताबिक वोटिंग शुरू ही नहीं हुई, क्योंकि ईवीएम खराब थे। किसी तरह उन्हें सुधारकर वोटिंग शुरू कराई गई, तो यह प्रक्रिया इतनी धीमी रही कि सुबह से कतार में खड़े लोगों को शाम में वोट जालने का मौका मिला। इस वजह से बूथ पर लंबी लाइन लगी रही और कई बार झड़प की स्थिति भी बनी।

ज्यादा देरी होने पर घर चले गए मतदाता

जरमाखाप गांव के राजकीय मध्य विद्यालय मतदान केंद्र पर वोटिंग आरंभ होने के कुछ समय बाद इवीएम मशीन में खराबी आने से मतदान घण्टो विलम्ब से शुरू हुआ। इस दौरान वोटर विलम्ब होने से अपने घरों को लौट गए। दोपहर बाद काफी देर तक बूथ पर सन्नाटा पसरा रहा। फिर अचानक बूथ पर वोटरों का सैलाब सा उमड़ पड़ा। मतदान के समाप्त होने की निर्धारित अवधि शाम के पांच बजने के पहले बूथ पर मतदाताओं की बहुत लम्बी कतार लग गई। जिसको लेकर वहां मौजूद पुलिस भी सकते में आ गए।

लोकतांत्रिक प्रावधान का हवाला देकर जारी रही वोटिंग

देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी तरह के चुनाव के मामले में यह प्रावधान है कि मतदान समाप्त होने की अवधि के चंद मिनट पहले तक भी यदि कोई वोटर वोट देने के लिए कतार में लग जाता है, ऐसी स्थिति में तबतक मतदान जारी रहेगा, जबतक बूथ पर मौजूद आखिरी व्यक्ति वोट ना गिरा दे। इसी प्रावधान का लाभ जरमाखाप के वोटरों को मिला। हालांकि जैसा बताया गया, प्रक्रिया धीमी रहने के कारण वोटिंग में काफी देरी हुई।आशतोष कुमार, जोनल मजिस्ट्रेट

बिजली व्यवस्था ने कर दिया गरीबी में आटा गीला

इस बीच अंधेरा होने और लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से मतदान कर्मी वोटिंग बंद कराने लगे। लेकिन वोटरों ने प्रावधानों का हवाला देते हुए हर हाल में वोट देने पर अड़ गए और शोर-शराबा करने लगे। मामले की जानकारी औरंगाबाद के जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी सौरभ जोरवाल तक पहुंची। जानकारी के बाद आखिरकार शोर शराबा कर रहे वोटरो को वोट कराने का मतदानकर्मियों को आदेश दिया। तब जाकर लालटेन की रौशनी में पुनः वोटिंग शुरू हुई और कतार में लगे अंतिम वोटर तक को मतदान का मौका दिये जाने में रात के करीब 10 बजे तक मतदान संपन्न हुआ। 

बूथ पर ही थी गड़बड़ी

वहां मौजूद मतदानकर्मी ने बताया कि बेला बूथ पर 920 वोट हैं। नियम कहता हैं कि एक केंद्र पर 600 लोग ही होने चाहिए। अलग बूथ की व्यवस्था नहीं रहने से एक ही बूथ पर लोड ज्यादा हो गया और अराजकता की स्थिति बन गई। 4 बजे के बाद लोगों को पर्ची बांटी गई औऱ 10 बजे रात तक उसी पर्ची के सहारे मतदान चलता रहा।

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