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'तेरा यार हूं मैं', फ्रेंडशिप डे स्पेशल: क्या है फ्रेंडशिप डे के पीछे की कहानी

'तेरा यार हूं मैं', फ्रेंडशिप डे स्पेशल: क्या है फ्रेंडशिप डे के पीछे की कहानी

मुसीबत के वक्त जब कुछ भी समझ नहीं आता तो फोन उठाकर एक नंबर फटाक से डाइल कर लेते हैं. और बस प्रॉब्लम खत्म हो जाता है और वो एक नंबर होता है दोस्त का, जो हमें खुद से भी अधिक जानता और समझता है. हमारे सारे नखड़े भी उठा लेता है अब दोस्ती होती ही ऐसी है.


अगस्त महीने के पहले संडे को दोस्ती का दिन मनाया जाता है. इस दिन को फ्रेंडशिप डे कहते हैं. इस दिन दोस्तों के लिए गिफ्ट्स खरीदना, पार्टी करना, उन्हें स्पेशल मैसेजेस भेजना और आउटिंग की जाती है. कुछ लोग तो इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए रोड ट्रिप या फिर दूर वेकेशन के लिए निकल जाते हैं. इसके अवाला आज भी स्कूलों में दोस्त एक-दूसरे को चॉकलेट्स, फूल, ग्रीटिंग कार्ड्स, फ्रेंडशिप बैंड जैसी कई चीजें देते हैं. आपने और हमने भी स्कूल के दिनों वो प्लास्टिक के फ्रेंडशिप बैंड्स गिफ्ट्स किए होंगे, इसे खरीदने के लिए अपनी पॉकेट मनी में से कई दिनों पहले ही सेविंग शुरू कर दी जाती थी. या फिर मां या पापा से भी गिफ्ट्स के लिए पैसे मिल जाया करते थे. लेकिन आपने कभी सोचा है कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? आखिर ये फ्रेंडशिप डे किस तरह शुरू हुआ? चलिए आपको बताते हैं यहां.

फ्रेंडशिप डे का इतिहास 

हर साल अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाने वाला 'फ्रेंडशिप डे'. इंडिया में भी काफी पॉपुलर है. सोशल मीडिया के बढ़ते ट्रेंड के चलते बड़ी ही धूमधाम से दोस्ती-यारी के इस दिन को भारत ये यूथ मनाते हैं.

इस दिन का क्रेडिट हॉलमार्क कार्ड्स के संस्थापक जॉइस हॉल को दिया जाता है। उन्होंने ही पहली बार 2 अगस्त, 1930 को फ्रेंडशिप डे के तौर पर मनाने का आइडिया रखा था। लेकिन ग्रीटिंग कार्ड्स इंडस्ट्री के फायदे का कदम बताकर इसकी आलोचना की गई थी। वैसे पहली बार 30 जुलाई, 1958 को पेरुग्वे में दुनिया का पहले फ्रेंडशिप डे मनाया गया। 


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