DARBHANGA : बिहार की उच्च शिक्षा बर्बादी के कगार पर है। बिहार के विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का केंद्र में तब्दील हो गया है। एक तरफ "नई शिक्षा नीति 2020" के जरिए केंद्र की मोदी सरकार आम छात्रों को शिक्षा से दूर करने में लगी हुई हैं तो वही दूसरी तरफ बिहार के विश्विद्यालयों में कॉपी खरीद से लेकर पुस्तकें खरीद भवन निर्माण, डेटा सेंटर में लूट मची हुई हैं। राज्यपाल एवं बिहार सरकार ने विश्विद्यालयों को लूट का अड्डा में तब्दील कर शिक्षा व्यवस्था को बर्बादी के कगार पर पहुँचा दिया है। इसके जिम्मेदार राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। शिक्षा से बेदखल करने और घोटाले को संरक्षण देने वाली केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ सम्पूर्ण बिहार में आन्दोल तेज किया जाएगा। उक्त बातें आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारी महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने जिला कार्यालय मिर्जापुर में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा।
उन्होंने मिथिला विश्विद्यालय में हुए घोटाले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में करवाने की मांग उठाई। आइसा जिला सह सचिव ओणम ने कहा की मिथिला विश्विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के जिम्मेदार कुलपति- कुलसचिव को बने रहने का कोई अधिकार नहीं हैं। राज्य सरकार एवं राज्यपाल अविलंब इसको बर्खास्त करें।
जिला सचिव मयंक ने मिथिला विश्विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ 15 दिसंबर को आहूत मिथिलांचल बंद में बड़े पैमाने पर छात्र- युवाओं को सड़क पर उतरने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुलपति द्वारा निजी कंपनियों को पिछले छः महीने के अंदर निर्गत की राशि की उच्च स्तरीय जांच हो। डेटा सेंटरों को जल्द से जल्द खुलवाया जाय। डिग्री थर्ड पार्ट और स्नातकोत्तर का परीक्षा परिणाम अविलंब घोषित करने की मांग की।
दरभंगा से वरुण ठाकुर की रिपोर्ट