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हौसले को सलाम, हाथों के बिना दिव्यांग छात्र कर रहा स्नातक की पढ़ाई

हौसले को सलाम, हाथों के बिना दिव्यांग छात्र कर रहा स्नातक की पढ़ाई

Sasaram: कहते है की उड़ान पंखो से नहीं हौसलो से होती है। सासाराम के मोहद्दीगंज का रहने वाला धनदीप दोनों हाथ से दिव्यांग है। लेकिन वो अपनी मंजिल पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। हाथ ना सही अपने पाँव से ही वो स्नातक के अंतिम वर्ष का परीक्षा दे रहा है। 

ये है धनदीप, कुदरत ने इसके साथ मजाक जरूर किया लेकिन धनदीप अपनी किस्मत हाथों के सहारे नहीं बल्की अपने मेहनत के बदौतल बदलने में लगा है। बचपन में चारा काटने की मशीन मे धनदीप अपना दोनों हाथ खो चुका है। उनके बाद धनदीप ने अपने पाँव को ही हाथ बना लिया। समाजशास्त्र से स्नातक कर रहे धनदीप सासाराम का प्रतिष्ठित शेरशाह काँलेज का छात्र है। वो पढ़ाई में भी तेज़ है.

बड़ी बात ये है कि ये अपना नित्यक्रिया भी पाँव से ही करता है, साथ ही पाँव से सुन्दर-सुन्दर शब्द भी लिखता है। वो अपने पाँव से लिख तो ले रहा है। लेकिन अपने पां‌व पर खड़ा भी होना चाहता है। जीवन में सामान्य इंसान की तरह जीने की ललक धनदीप में भी है। लेकिन कहते है कि थोड़ी मदद मिले तो अपने पाँव पर खड़े होने में आसानी होगी। फिलहाल धनदीप संत शिवानंद तीर्थ महाविधालय में स्नातक का परीक्षा दे रहा है। परीक्षा केन्द्र पर केन्द्राधीक्षक ने उसे जमीन पर बैठकर परीक्षा देने की स्वीकृति दे रखी है। वो अपने परीक्षा केन्द्र के बरामदे पर पाँव से परीक्षा दे रहा है।

कहते है की किस्मत की लकीरे हाथों में होती है। लेकिन कई ऐसे लोग भी है जिनके हाथ नहीं होते। ऐसे मे धनदीप अपने पाँव से ही अपनी किस्मत सवारने में लगा है।


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