बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

HOLIKA DAHAN: इस बार होलिका दहन में बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग, जानिएं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि

HOLIKA DAHAN: इस बार होलिका दहन में बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग, जानिएं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि

DESK: होली के त्योहार ने दस्तक दे दी है. देश में होली धूमधाम से मनाई जाती है. यूं तो कई जगहों पर होली 10 दिन पहले से ही शुरू हो जाती है, मगर मुख्य रूप से होली 2 दिन का त्योहार होता है जिसमें पहले होलिका दहन और अगले दिन रंगोत्सव होता है. इस बार होलिका दहन रविवार को है और माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में होलिका की पूजा करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है.

होलिका दहन को मुख्य रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा जाता है. आमतौर पर होलिका दहन में भद्रा की बाधा आती है. मान्यता है कि भद्रा के समय होलिका दहन नहीं किया जाता है. इस साल होलिका दहन में भद्रा की बाधा नहीं आएगी. होलिका की पूजा दिन ढलने के बाद ही की जाती है, वहीं इस बार भद्राकाल दिन में 1 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इसका मतलब यह है कि इस साल होलिका में भद्राकाल की बाधा नहीं आएगी.

हिंदू रीति के अनुसार शाम में प्रदोष काल के समय 6 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट के बीच होलिका दहन करना सबसे लाभकारी होगा. होलिका दहन के दिन शुभ योगों में से सर्वोत्तम योग सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. वहीं रात में 12:30 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी, ऐसे में रात 12.30 बजे से पहले ही होलिका की पूजा हो जानी चाहिए.


होलिका दहन की पूजन विधि की बात करें तो जिस स्थान पर पूजन होना है, उसे पहले गंगाजल से शुद्ध कर लें. इसके बाद वहां सूखे उपले, सूखी लकड़ी, सूखी घास आदि रखें. इसके बाद पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें. लोग यदि चाहें तो गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं भी बना सकते हैं. इसके साथ ही भगवान नर्सिंह की पूजा करें. पूजा के समय एक लोटा जल, माला, चावल, रोली, गंध, मूंग, सात प्रकार के अनाज, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल के साथ ही होली पर बनने वाले पकवान और नारियल रखें. इसके अलावा पूजन में नई फसलें भी रखी जाती हैं. कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें. उसके बाद सभी सामग्री होलिका की अग्नि में अर्पित करें. पूजन के बाद में अर्घ्य अवश्य दें. इससे पूजन की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है.

Suggested News