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हुजूर...आपकी सरकार में भ्रष्ट अफसरों पर कैसे लगेगा लगाम..जब तीनों जांच एजेंसियां चुप बैठी हैं ? नए साल में विजिलेंस-SVU-EOU ने भ्रष्टाचार पर अब तक नहीं किया ठोस प्रहार, BJP के एजेंडे का क्या होगा

हुजूर...आपकी सरकार में भ्रष्ट अफसरों पर कैसे लगेगा लगाम..जब तीनों जांच एजेंसियां चुप बैठी हैं ? नए साल में विजिलेंस-SVU-EOU ने भ्रष्टाचार पर अब तक नहीं किया ठोस प्रहार, BJP के एजेंडे का क्या होगा

PATNA: प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में हुंकार भरी है, भ्रष्टाचारियों को छोड़ेंगे नहीं. ईडी-आईटी और सीबीआई की कार्रवाई जारी रहेगी. दूसरी तरफ बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कार्रवाई को करीब-करीब बंद ही कर दिया है. सुशासन की सरकार में जांच एजेंसियां सिर्फ दिखावे के लिए रह गई हैं. 2021- 2022 में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार ने निर्णायक अभियान छेड़ा था. इसके सकारात्मक परिणाम भी मिले थे. भ्रष्ट अफसरों में भय का माहौल व्याप्त हो गया था. लेकिन 2023 आते-आते इसकी गति धीमी हो गई. 2024 में तो जांच एजेंसियों ने अपनी गतिविधि ही पूरी तरह से बंद ही कर दी है. नए साल में छत्तीस दिन बीत गए, न तो निगरानी ब्यूरो ने भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की है और न विशेष निगरानी इकाई या आर्थिक अपराध इकाई ने. जनवरी के बाद अब फरवरी महीना शुरू है, अभी तक एक भी रिश्वतखोरों या फिर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है. नए साल में महागठबंधन की सरकार चली गई, अब एनडीए की सरकार है,यानि नीतीश कुमार के साथ भाजपा है. बड़ा सवाल यही है कि क्या नई सरकार में जांच एजेंसियों को खुली छूट दी जाएगी या फिर लगाम लगाकर रखा जाएगा ?

****अब भाजपा-जेडीयू की सरकार है..जांच एजेंसियों पर लगाम होगा ढीला ? 

बिहार में अब एनडीए की सरकार है. भाजपा के सहयोग से नीतीश कुमार नौवीं दफे मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए हैं. भाजपा भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर लगातार सरकार पर सवाल खड़े करते रही है. अब बीजेपी ही सरकार में है. निगरानी विभाग का जिम्मा एक बार फिर से नीतीश कुमार के पास है. ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा के अभियान का क्या होगा, क्या भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होगी या फिर बीजेपी भी सरकार में आते ही चुप बैठ जाएगी ? अगर आप 2023 के आंकड़ों पर गौर करें तो आप देखेंगे कि निगरानी ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई या आर्थिक अपराध इकाई ने कोई ठोस और बड़ी कार्रवाई नहीं की है. निगरानी ब्यूरो की तरफ से 2023 में इक्का-दुक्का धनकुबेर अफसरों के खिलाफ डीए केस दर्ज कर छापेमारी की गई थी. 

****निगरानी की सुस्त रफ्तार से भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा 

सिवान के तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार थे. इनके खिलाफ निगरानी ने 6 दिसंबर 2023 को 86 लाख रू का डीए केस दर्ज कर कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसके अलावे कृष्ण कुमार सिंह, प्रखंड विकास पदाधिकारी, तरैया प्रखण्ड- सारण के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. इनके खिलाफ आय से 65 लाख अधिक अर्जित करने का केस 30 अक्टूबर 2023 को दर्ज किया गया था. 21 जून 2023 को मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक सुबोध कुमार के खिलाफ 2 करोड़ 13 लाख रू अधिक अर्जित करने का केस दर्ज किया गया था. 20 जनवरी 2023 को निगरानी ने ग्रामीण कार्य विभाग दरभंगा में प्रतिनियुक्त लिपिक सुभाष कुमार के खिलाफ आय से 1 करोड़ 15 लाख रू अधिक अर्जित करने का केस दर्ज किया गया था.इसके बाद कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. इसके अलावे रिश्वत लेते कई सरकारी सेवकों को गिरफ्तार किया गया था. हालांकि इसकी संख्या भी 2021 और 2022 से काफी कम थी.

****एसवीयू और ईओयू ने भी नहीं की कोई बड़ी कार्रवाई 

वहीं, विशेष निगरानी इकाई और आर्थिक अपराध इकाई भी 2023 में सुस्त रही. आर्थिक अपराध इकाई ने अक्टूबर 2023 में बिहार राज्य खाद्य निगम के सहायक उप महाप्रबंधक शिशिर कुमार वर्मा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज कर रेड किया था. आर्थिक अपराधी इकाई के अनुसार उन्होंने 45 लाख 71 हजार 996 रुपए आय से अधिक अर्जित किए हैं जो की उनकी ज्ञात आय से 101.6 प्रतिशत अधिक है. इसके अलावे विशेष निगरानी इकाई ने कार्रवाई के नाम पर बिजली विभाग के एक इंजीनियर संजीव गुप्ता के खिलाफ 19 सितंबर को डीए केस दर्ज कर कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. एसवीयू ने इंजीनियर के खिलाफ आय से 2.26 करोड़ रू अधिक अर्जित करने का केस दर्ज किया था. 



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