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आरोप 'समान' तो सजा 'असमान' क्यों...तीन सब-रजिस्ट्रार के निलंबन के बाद विभागीय कार्यवाही भी, 'उत्पाद अधीक्षक' के खिलाफ न 'निलंबन' न कोई कार्यवाही

आरोप 'समान' तो सजा 'असमान' क्यों...तीन सब-रजिस्ट्रार के निलंबन के बाद विभागीय कार्यवाही भी, 'उत्पाद अधीक्षक' के खिलाफ न 'निलंबन' न कोई कार्यवाही

PATNA: बिहार में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। आर्थिक अपराध इकाई, विशेष निगरानी इकाई व निगरानी ब्यूरो लगातार जांच में जुटी है।2021 से लेकर अब तक करीब 100 भ्रष्ट अफसर बेनकाब हुए हैं। हाल के महीनों में मद्य निषेध व निबंधन विभाग के जिला स्तरीय 4 अधिकारियों के खिलाफ जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की है। इनमें तीन निबंधन के व एक उत्पाद के अधिकारी शामिल हैं। विभाग ने निबंधन के तीनों अधिकारियों को पहले निलंबित किया, अब विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश जारी कर दिया है।वहीं मोतिहारी के जिस उत्पाद अधीक्षक के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी उसे निलंबित करने की बजाए मार्च महीने में ही बेगूसराय में पदस्थापित कर दिया गया। जांच एजेंसी की रिपोर्ट के बाद भी विभाग ने कार्रवाई नहीं की। एसवीयू ने उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के खिलाफ दिसंबर 2021 में आय से 94 लाख रू अधिक अर्जित करने का केस दर्ज किया था। विभाग ने आरोपी अधिकारी पर कार्रवाई न कर पोस्टिंग कर दी तो जांच एजेंसी ने भी जांच तेज कर दिया है। खबर है कि जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर दी जायेगी। जानकार बताते हैं कि तब विभाग को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा। 

भ्रष्ट तीन सब-रजिस्ट्रार के खिलाफ अब विभागीय कार्यवाही

बिहार के निबंधन सेवा के तीन निलंबित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू हुई है. मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. तीनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केस दर्ज हुआ था. निगरानी ब्यूरो ने छापेमारी की थी. पूर्णिया के तत्कालीन जिला अवर निबंधक उमलेश प्रसाद सिंह के ठिकानों पर छापेमारी में 16 लाख रुपए से अधिक नकद, 18 लाख के गहने, जमीन से संबंधित 8 दस्तावेज, विभिन्न बैंकों में 15 खाते एवं वित्तीय संस्थानों में निवेश से संबंधित कागजात बरामद हुए थे। निगरानी ब्यूरो ने एक करोड़ 11 लाख रू आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था .इस आरोप में विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया था. अब विभागीय कार्यवाही चलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. मुख्य जांच आयुक्त को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है.

मुख्य जांच आयुक्त को बनाया गया है संचालन पदाधिकारी 

वहीं, मोतिहारी के तत्कालीन जिला अवर निबंधक बृज बिहारी शरण के खिलाफ भी निगरानी ब्यूरो ने छापेमारी की थी. छापेमारी में 10 लाख से अधिक नकद 24 लाख से अधिक के गहने व विभिन्न बैंकों व जमीन से कागजात मिले थे. इनके खिलाफ एक करोड़ 29 लाख रुपए आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया था. इस आरोप में विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया था. अब इस भ्रष्ट अफसर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है.मुख्य जांच आयुक्त को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. समस्तीपुर के जिला अवर निबंधक मणिरंजन के खिलाफ भी विशेष निगरानी इकाई ने छापेमारी की थी. छापेमारी में 24 लाख नकद,16 लाख के गहने बरामद हुए थे. इनके खिलाफ एक करोड़ 62 लाख रुपया अवैध तरीके से अर्जित करने का केस  किया गया था. इनके खिलाफ मध निषेध एवं उत्पाद विभाग ने विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया है और मुख्य जांच आयुक्त को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. वहीं मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई ने छापेमारी की थी। एसवीयू ने इस अधिकारी के खिलाफ आय से 94,0500 रुपए अधिक की संपत्ति  गैरकानूनी और नाजायज ढंग से अर्जित करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर छापेमारी की थी। 

उत्पाद अधीक्षक की पोस्टिंग के बाद तकरार

मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने निबंधन सेवा के तीन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी के बाद निलंबित कर विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया है। लेकिन उत्पाद सेवा के अधिकारी अविनाश प्रकाश को निलंबित करने व विभागीय कार्यवाही चलाने की बजाए तीन महीने पहले ही बेगूसराय का उत्पाद अधीक्षक बना दिया गया है। इसके बाद अब सचिवालय के गलियारे में चर्चा तेज है कि आखिर सुशासन में ये कैसी व्यवस्था है? आखिर एक ही तरह के केस में तीन पर कार्रवाई और चौथे पर कृपा ? हालांकि जांच एजेंसी भी चुप नहीं बैठने वाली है। जांच एजेंसी को इस बात की जानकारी है। लिहाजा जांच तेजी से जारी है। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि आरोपी उत्पाद अधीक्षक के खिलाफ जल्द चार्जशीट दाखिल किया जायेगा। इसकी तैयारी की जा रही है।

नोट गिनने की मिली थी मशीन

एसवीयू के अनुसार अविनाश प्रकाश का पटना में फुलवारीशरीफ स्थित कुरकुरी में फार्म हाउसनुमा मकान बना रखा है। यह करीब एक बीघे में फैला है और यहां तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। तलाशी के लिए जब टीम पहुंची तो खूबसूरत बगान, 10 गाय का खटाल और कई नौकर-चाकर भी वहां काम करते मिले। यहां तलाशी के दौरान नोट गिनने की मशीन भी मिली। इसके अलावा पटना में एक फ्लैट खरीदने का सहमति पत्र भी बरामद हुआ। अविनाश प्रकाश के पास अपनी 2 जेसीबी, 1 इनोवा और करोड़ों की चल-अचल संपत्ति होने का प्रमाण मिला है। वहीं परिजनों के नाम कई लाख रुपए का निवेश बैंक और जीवन बीमा में पाए गए। खगड़िया में भी आलीशान मकान है। वहां भी एक जेसीबी बरामद हुआ। 

पिता व पत्नी के नाम 23 प्लॉट

एसवीयू के मुताबिक पत्नी के नाम 41 डिसिमिल के 3 प्लॉट और पिता नित्यानंद चौधरी के नाम 200 डिसिमिल के 20 प्लॉट हैं। इनकी खरीदारी 56.75 लाख रुपए में की गई है। इसके अलावा एचडीएफसी बैंक में 5, इलाहाबाद बैंक में 1, एसबीआई में 5, यूनियन बैंक में 3, केनरा बैंक में 1 खाता है। विभिन्न बीमा कंपनियों में भी निवेश के प्रमाण मिले थे। तलाशी में एक टैक्सी का रजिस्ट्रेशन पेपर बरामद हुआ था।  

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