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नर्स डे पर पटना की लड़की ने लिखा कैसे कोरोना काल में वायरस से सीधा टक्कर ले रहीं हमारी बहादुर नर्सें , पढ़िए पूरी खबर

नर्स डे पर पटना की लड़की ने लिखा कैसे कोरोना काल में वायरस से सीधा टक्कर ले रहीं हमारी बहादुर नर्सें , पढ़िए पूरी खबर

DESK: जब भी हम हेल्थ सेक्टर की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे जहन में डॉक्टरों का नाम आता है , लेकिन क्या एक मरीज को ठीक करने के पीछे केवल डॉक्टर का हाथ होता है? ऐसा नहीं है। भले ही उसका इलाज डॉक्टर करता हो लेकिन इलाज के पहले और बाद उसकी देखभाल नर्सें करती हैं। इसके बावजूद नर्सों की स्थिति बहुत ही खराब है। साथ ही उन्हें वह सम्मान भी नहीं मिलता जिसकी वह हकदार है। ऐसे में 7 अप्रैल यानी कि विश्व स्वास्थ्य दिवस पर डब्ल्यूएचओ द्वारा " नर्सों और मिडवाइव्स " की थीम रखी गई थी।


कोविड - 19 की जंग में दुनिया को स्वस्थ रखने में नर्सें अहम भूमिका निभा रही हैं। ऐसे में डब्ल्यूएचओ ने नर्सों की कमी को लेकर चिंता जताई है, उनके मुताबिक दुनियाभर में इस समय 60 लाख नर्सों की जरूरत है।
भारत में नर्सों की संख्या बाकी देशों से कम है , जिसके चलते भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र सुविधाओं और मानव संसाधन के संकट का सामना करना पड़ रहा है । नर्सों की कमी के कारण मौजूदा नर्सों को अस्पतालों में दो शिफ्ट करवाई जाती है , जिस कार्य भार से वे अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाती। साथ ही उन्हें वह सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवाई जाती जिनकी उनको जरूरत है।


नर्सें चिकित्सा सेवा की रीढ़ होती है यदि यह ना हो तो डॉक्टरों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की श्रम शक्ति में नर्सों और मिडवाइव्स की संख्या 50% से अधिक है । भारत में कई ग्रामीण क्षेत्रों में मिडवाइव्स एकमात्र स्वास्थ्य सेवा प्रदाता है । इसके बावजूद उनको तवज्जो नहीं दी जाती। कोरोना वायरस की स्थिति अन्य बीमारियों से अलग है, पीड़ितों के पास उनके परिजनों को भी नहीं रुकने नहीं दिया जाता। ऐसे में नर्सों पर ज्यादा भार आ जाता है, किंतु नर्सों की सेवाओं को नजरअंदाज़ कर, रोगी और उनके रिश्तेदार उनकी सेवाओं में कमियां निकालते हैं। कोरोना से इस जंग में नर्सों के पास ना आवश्यक उपकरण है ना ही उन्हें मास्क उपलब्ध करवाया गया है। एक ओर जहां कोरोना के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को होटलों में रखा जा रहा है, वहीं नर्सों को हॉस्टलों या हॉस्पिटलों में रहने को कहा जा रहा है । साथ ही उन्हें PPE किट भी अब तक उपलब्ध नहीं करवाई गई है। कई जगह नर्सों को 14 दिन आईसीयू में लगातार काम करने को कहा जा रहा है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों की देखभाल कर रहे डॉक्टरों और नर्सों के लिए ताली बजाकर आभार व्यक्त करवाया था, लेकिन वह केवल एक प्रतीक मात्र बनकर रह गया है। कोरोना रोगियों की देखभाल कर रहे डॉक्टरों और नर्सों की सामाजिक बहिष्कार , उन पर थूकना और मकान मालिकों द्वारा उनके मकान खाली करने के मामले भी सामने आए हैं। इसका कारण क्या है? यह सोचने वाली बात है।
ऐसे में यह जिम्मा हमारे हाथ है कि हम किस प्रकार इन योद्धाओं का मनोबल बढ़ा सके और उन्हें भी सुरक्षित महसूस करवा सके। विश्व नर्स दिवस पर हम उनका सम्मान करें जो हमारे लिए अपने परिवार से दूर रहकर अपने जीवन का एक अहम हिस्सा हमारे नाम करतें हैं।

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