IPS Resign : बिहार में ‘सुपर कॉप’ से लेकर ‘लेडी सिंघम’ तक तेज तर्रार आईपीएस अधिकारियों ने नौकरी से किया तौबा, इस्तीफे की वजह कहीं ये तो नहीं...

PATNA : बिहार में और बिहार के आईपीएस अधिकारियों के इस्तीफा देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले पांच सालों की बात करें तो कई आईपीएस अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। वह भी ऐसे अधिकारी जिन्हें बिहार के पुलिस प्रशासन में काफी तेज तरार्र माना जाता था। हालाँकि इस्तीफा देनेवाले इन आईपीएस अधिकारियों ने नौकरी छोड़ने की ख़ास वजह नहीं बताई है। इसी कड़ी में आज बिहार के तेज तरार्र आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है। हालाँकि इस्तीफे की वजह उन्होंने व्यक्तिगत कारण बताया है। 18 साल की नौकरी के बाद इस्तीफा देकर उन्होंने यह जरुर कहा की वे बिहार में ही रहेंगे और बिहार में रहकर ही काम भी करेगे। इससे अटकलें लगायी जा रही है की शिवदीप लांडे किसी पार्टी से जुड़कर सियासत की डगर पकड़ सकते हैं। बिहार में शिवदीप लांडे को ‘सुपर कॉप’ के रूप में प्रसिद्धि मिली है। फिलहाल शिवदीप लांडे पूर्णिया रेंज के आईजी के रूप में काम कर रहे थे। दो सप्ताह पहले ही उन्होंने पूर्णिया आईजी के रूप में पदभार संभाला था। इसी तरह अभी कुछ दिन पहले ही तेज तरार्र आईपीएस काम्या मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। IPS काम्या ने महज 5 साल में नौकरी छोड़ने का फैसला ले लिया। हालांकि उन्होंने इसे अपना व्यक्तिगत व पारिवारिक कारण बताया। काम्या मिश्रा ने यह भी बताया है कि यह फैसला इतना आसान नहीं है, लेकिन वह परिवार को समय नहीं दे पा रही थीं। जिसकी वजह से उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। दरअसल काम्या अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। वहीं उनके पिता ओडिशा के बड़े बिजनेसमैन हैं। ऐसे में काम्या ने अपने पिता का बिजनेस संभालने के लिए नौकरशाही छोड़ने का फैसला किया है।
तीसरे आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा की बात करें तो वे भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत पड़सौरा गांव के निवासी हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान बक्सर से किस्मत आजमाने के लिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 2011 बैच के आईपीएस असम के लखीमपुर जिले में एसपी के रूप तैनात थे। असम के मुख्य सचिव को उन्होंने अपना त्यागपत्र सौंप दिया। बक्सर से उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। फिलहाल आनंद मिश्रा जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के साथ अलग अलग मंचों पर देखे जा रहे हैं।
वहीँ राजनीति में जोर आजमाईश के लिए बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय भी अपने कार्यकाल से 6 महीने पहले ही डीजीपी का पद छोड़ दिया और आइपीएस से इस्तीफा दे दिया। हालाँकि किसी पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया और गुप्तेश्वर पाण्डेय ने गेरुआ वस्त्र धारण कर भागवत कथा करना शुरू दिया। 1987 बैच के आईपीएस पांडे ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें बक्सर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं दिया गया था। बाद में उन्होंने अपना वीआरएस आवेदन वापस ले लिया। 2020 में राज्यपाल फागू चौहान से उनके वीआरएस को त्वरित मंजूरी मिलने के बाद , उनके मामले में एक अपवाद बनाया गया था, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को राजनीति में शामिल होने के लिए अनिवार्य तीन महीने की कूलिंग-ऑफ अवधि की छूट दी गई थी। पांडे 27 सितंबर 2020 को पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना स्थित आवास पर जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हुए।
बता दें की इसके पहले राजनीति के मैदान में आने के पूर्व सुनील कुमार भी बिहार में डीजी के पद से रिटायर हुए थे। सुनील कुमार 1987 बैच के IPS अधिकारी रहे है। वर्ष 2020 में ही सेवा से वो रिटायर हुए थे। फिलहाल सुनील कुमार बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री हैं।