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कर्पूरी चर्चा पर जदयू राजद- आमने सामने, आरजेडी ने लगाया आरोप ,कहा- कर्पूरी के नाम पर हो रही है नीतीश की चर्चा...

कर्पूरी चर्चा पर जदयू राजद- आमने सामने, आरजेडी ने लगाया आरोप ,कहा- कर्पूरी के नाम पर हो रही है नीतीश की चर्चा...

बिहार की सियासत इन दिनों गरमाई हुई है। लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही समय शेष है। ऐसे में बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। जैसा कि बिहार में महागठबंधन की सरकार है और शीर्ष नेतृत्व का माने तो उनके गठबंधन सब कुछ ठीक चल रहा है, लेकिन कई बार महागठबंधन के नेता ही एक दूसरे के ऊपर करारा हमला कर देते हैं। राजद के नेता सीएम नीतीश और उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ बयान जारी करते हैं। तो वहीं जदयू के कार्यकर्ता राजदसुप्रीमो लालू यादव, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के खिलाफ बयान देते रहते हैं। इसी कड़ी में एक औऱ राजद नेता ने सीएम नीतीश के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। 

दरअसल, आरजेडी के विधान पार्षद प्रो. रामबली सिंह औरंगाबाद के दाउदनगर पहुँचे थे। जहां उन्होंने सीएम नीतीश के खिलाफ तो बयान दिया ही साथ ही अपनी ही पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ बड़ी बात कहा है। मालूम हो कि जदयू कर्पूरी चर्चा की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि जेडीयू भव्य आयोजन करने वाली है। जिसके लिए जेडीयू के कार्यकर्ता तैयारी भी कर रहे हैं। वहीं कर्पूरी चर्चा को लेकर रामबली सिंह ने कहा कि, जेडीयू कर्पूरी चर्चा के बहाने नीतीश की चर्चा कर रही है। रामबली ने रविवार को औरंगाबाद के दाउदनगर में चंद्रवंशी चेतना मंच द्वारा जरासंध जयंती पर आयोजित 'जाति गणना व अति पिछड़ा वर्ग की स्थिति' विषयक परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में पहुंंचे थे। जहां उन्होंने कहा कि जेडीयू पूरे राज्य में कर्पूरी चर्चा करा रही है। इस चर्चा के बहाने नीतीश की चर्चा हो रही है। इससे कर्पूरी ठाकुर की मंशा पूरी नहीं हो रही है। अगर कर्पूरी ठाकुर की आत्मा कहीं जीवित होगी तो वह कराह रही होगी। कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार देश में वर्गीकृत आरक्षण देने का साहस किया था।

उन्होंने कहा कि, जननायक कर्पूरी ठाकुर ने जिन मूल्यों की रक्षा के लिए 1978 में आरक्षण का वर्गीकरण किया था और पहली बार देश में वर्गीकृत आरक्षण देने का साहस किया था, उसे चकनाचूर कर दिया गया। 2015 में अपेक्षाकृत संपन्न जातियों को इसमें शामिल कर दिया गया। ऐसे तो जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने 19 जातियों को शामिल किया और जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो लगभग 15 जातियों को इसमें शामिल कर दिया गया। यह लगातार सिलसिला चल रहा है। आज भी उन्हीं की सरकार है। 

तीन संपन्न जातियों को अति पिछड़ा में घुसेड़ने का खामियाजा आज समाज भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि 2015 में जिन तीन संपन्न जातियों को मूल अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया गया, उसका खामियाजा आठ वर्षों से अति पिछड़ा समाज भुगत रहा है। समझ सकते हैं कि कर्पूरी चर्चा करने का क्या मतलब है। बिहार में जो सबसे बड़ी समस्या है, उसे कर्पूरी ठाकुर के बाद दूसरा कोई उठाने वाला नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने लिए नहीं तो अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए सोचें। मैंने सत्तारुढ़ में रहते हुए जनांदोलन का रास्ता अख्तियार किया। तीन जतियों को अति पिछड़ा में धुसेड़ा गया पर लालू यादव की नीतीश से बात करने की हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जाति गणना के अधिकृत आंकड़े को प्रस्तुत करते हुए कहा कि अति पिछड़ा की आबादी 36 प्रतिशत होते हुए भी मात्र 13 प्रतिनिधित्व नौकरियों में है।

नीतीश कुमार ने तीन जातियों को अतिपिछड़ा में घुसा दिया। जब इस मुद्दे को लेकर वह लालू प्रसाद यादव के पास गए तो उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वे नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर बात करें। अति पिछड़ों का हक मार रहे अगड़े व पिछड़े कहा कि अति पिछड़ा का हक अगड़ा या पिछड़े वर्ग के लोग मार रहे हैं। मंडल कमीशन के लागू होने के लगभग तीन दशक बाद भी काफी विसंगतियां हैं। रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट लागू नही कर रहे मोदी राज्य अतिपिछड़ा पिछड़ा आयोग के सदस्य अरविंद निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार ने जस्टिस रोहिणी कमिशन बनाया। कमेटी द्वारा रिपोर्ट भी सौंपा जा चुका है लेकिन मोदी सरकार उसे लागू करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। उन्होंने रोहिणी आयोग के अनुशंसाओं को लागू करने, अति पिछड़ा वर्ग का वर्गीकरण करने, नौकरी तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने की मांग की।

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