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झारखंड कांग्रेस ने कृषि विधयेक का किया विरोध, कहा- यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा

झारखंड कांग्रेस ने कृषि विधयेक का किया विरोध, कहा- यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा

RANCHI :  कृषि विधयेक भले ही राज्य सभा से भी पास हो गया है, लेकिन विपक्ष द्वारा इसका विरोध लगातार जारी है। इधर झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने इस विधेयक पर कड़ा विरोध जताया है।  झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं खाद्य आपूर्ति सह वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक, कृषि आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक कानून का व्यापक विरोध करने का फैसला किया है। 

डॉ. उराँव ने कहा है कि  यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा। किसानों और राज्यों के खिलाफ इस कानून का कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में व्यापक विरोध करेंगे। 

लोकसभा और राज्यसभा से भारी विरोध के बावजूद पास हुए इस बिल को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की आज एक कांग्रेस भवन में आहूत की गई। बैठक में कहा गया कि इस बिल को लेकर पूरे देश के किसानों को डर है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली का अंत होगा और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढेगा। प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि मानसून सत्र के बाद राज्यव्यापी कार्यक्रमों की रणनीति तय की जाएगी, लेकिन इतना तो तय है कि किसानों के अहित करने वाले इस बिल का उसी प्रकार विरोध होगा जिस तरह भूमि अधिग्रहण कानून के साथ केंद्र की सरकार ने छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी।

बैठक में अपने विचार रखते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भारतीय खाद्य एवं कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप इस कानून को बनाया गया है जो किसानों की मोलतोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। इसके अलावा बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा कि किसानों के विरुद्ध विधेयक से नाराज इनके कैबिनेट के मंत्री शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा तक दे दिया है। यह काला कानून संविधान के स्प्रिट पर प्रहार किया गया है क्योंकि जो स्टेट सब्जेक्ट था ट्रेडिंग के नाम पर सेंट्रल गवर्नमेंट ने कानून पास करने की कोशिश की है 

वहीं प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि पहले भी केन्द्र सरकार एक्वीजिशन एक्ट लाई थी, काफी हंगामा हुआ, किसान भी काफी नाराज थे,विरोध को देखते हुए कानून वापस लेना पड़ा। केन्द्र की सरकार कोरपोरेट सेक्टर को जमीन देने की कोशिश में जब विफल हुई तो फिर से कृषि संशोधन विधेयक के माध्यम से केन्द्र सरकार पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाना चाहती है जिसका व्यापक विरोध होगा। 

किशोर शाहदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर भी भारत का कोई किसान शामिल नहीं था, बड़ा उद्योगपति जो कृषि क्षेत्र में घुसकर अपना मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए कल का दिन जश्न का दिन था लेकिन देश का किसान कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में काले कानून का व्यापक विरोध करेगी

वहीं कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने भारत के प्रधानमंत्री से पूछा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कहां से देंगे और कैसे देंगे क्योंकि मंडियां तो खत्म हो जाएंगी ,मंडियों में जब किसान की उपज आएगी ही नहीं तो क्या फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया 62 करोड़ किसानों के खेत में जाएगी एमएसपी देने के लिए। राजेश गुप्ता ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री किसान विरोधी हैं, खेत मजदूर विरोधी हैं खेत खलिहान पर आक्रमण कर रहे हैं, खेती पर अतिक्रमण कर रहे हैं ।एक तरफ करोना महामारी से देश परेशान है दूसरी तरफ किसानों पर हमला देश कभी माफ नहीं कर सकता प्रधानमंत्री के इस षड्यंत्र का कांग्रेस पार्टी चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर विरोध करेगी।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अमूल्य नीरज खलखो ने कहा कि पिछले 6 सालों में प्रधानमंत्री के कार्यकाल को अगर हम देखें तो न किसान की कर्जा मुक्ति हुई, न किसान को ऊर्जा मिला, न किसान को जो उपज है उसका अच्छा दाम मिला। हकीकत ये है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जो थी वह प्राइवेट प्लेयर्स के हाथों में दे दी गई और पूरी तरह से उस में सौदेबाजी रही पिछले 6 साल के कार्यकाल में किसान परेशान रहा, दुखी रहा।देश के विभिन्न संगठन, जनप्रतिनिधि,दलों ने बिल का विरोध किया।

बैठक में कांग्रेस नेता देवजीत देवघरिया ,अजय सिंह ,एनएसयूआई के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर शारिक अहमद, स्टेट सोशल मीडिया कोर्डिनेटर मोहम्मद हुसैन अंसारी, अनिकेत राज भी उपस्थित थे।

रांची से मो. मोईजुद्दीन की रिपोर्ट

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