बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

JHARKHAND NEWS: लॉकडाउन में छूट रही थी बच्चों की पढ़ाई, टीचर ने लाउड स्पीकर को ही बना दिया जरिया, पूरे गांव में दीवारों पर लगा दी वर्णमाला, अब लोग कर रहे हैं टीचर की सराहना

JHARKHAND NEWS: लॉकडाउन में छूट रही थी बच्चों की पढ़ाई, टीचर ने लाउड स्पीकर को ही बना दिया जरिया, पूरे गांव में दीवारों पर लगा दी वर्णमाला, अब लोग कर रहे हैं टीचर की सराहना

बोकारो: आम तौर पर मंदिरों में लगने वाले लाउड स्पीकर से सुबह सवेरे भजन की ही आवाज आती है। लोग इन भजनों को सुन के अपने दिन को बनाते हैं या फिर सुबह के सारे कार्यों में लग जाते हैं लेकिन बोकारो के एक टीचर ने इसी लाउड स्पीकर को पढ़ाई का कुछ ऐसा जरिया बनाया है कि जो भी इसके बारे में सुन रहा है, सराहना किये बिना नहीं रह रहा है। 

लाउड स्पीकर पर बोलते हैं टीचर, दोहराते हैं बच्चे

पूरी खबर है चंद्रपुरा प्रखंड के पपलो पंचायत के जुनौरी गांव की। दरअसल सूबे में कोरोना के लगातार पसार रहे पैर के कारण राज्य सरकार द्वारा जन स्वास्थ्य सप्ताह लगा दिया गया। जिसके कारण बच्चे पढ़ाई से दूर होते जा रहे थे। इससे उनकी पढ़ाई पर असर पड रहा था। ऐसे छात्र जिनके पास स्मार्टफोन है, वो अपने स्कूल द्वारा कराये जा रहे ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई पूरी कर ले रहे हैं लेकिन गरीब बच्चों के पास स्मार्ट फोन न होने से उन्हें परेशानी हो रही थी। ऐसे में शिक्षक भीम महतो की यह पहल बच्चों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है। रामकीय मध्य विद्यालय जुनौरी के सरकारी शिक्षक भीम महतो इस पहल के साथ क्षेत्र में बच्चों को लगातार फ्री में पढ़ा रहे हैं। भीम न केवल लाउड स्पीकर पर पढाते हैं बल्कि उन्होंने गांव की दीवारों पर वर्णमाला भी बनवा दी है, जिससे लाउड स्पीकर पर आवाज सुनने के बाद जो बच्चे जहां पर हैं, वहीं पर से वर्णमाला देख कर अपनी पढाई पूरी करते हैं। भीम लाउड स्पीकर से बोलते हैं तो दूर तक बैठे बच्चे उनके साथ ही इसे दोहराते हैं। 

गांव वाले कर रहे हैं सराहना

भीम कहते हैं, कोरोना काल में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। इसे देखते हुए मैंने गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। लॉकडाउन के वक्त स्मार्टफोन से ऑनलाइन पढ़ाई की बात कही गई। गांव में ऐसे कई बच्चे हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है। ऐसे में मैंने सोचा कि इन्हें पढ़ाने के लिए मंदिर के लाउड स्पीकर की मदद ली जाए। पहले मैंने गांव में कई जगह हिंदी-इंग्लिश वर्णमाला, फ्रूट नेम, वेजिटेबल नेम जैसे चार्ट लगाए। लाउड स्पीकर से पढ़ाने के बाद मैं कुछ बच्चों से फोन पर बात कर चेक करता हूं कि जो पढ़ाया वह उन्होंने लिखा है या नहीं। मेरी क्लास में पहली, दूसरी और तीसरी के 30-35 बच्चे होते हैं। मंदिर से करीब आधा किलोमीटर के अंदर बच्चों को ठीक से मेरी आवाज सुनाई देती है। भीम बच्चों को पढाने के अलावा अपने खर्च पर बच्चों को कॉपी, पेन, मास्क, सैनिटाइजर और बिस्कुट भी देते हैं। उन्होंने घटियारी पंचायत के मंगलडाडी गांव में बसे बच्चों को सबसे पहले पढ़ाने की शुरुआत की थी। गांव के गोपाल गिरी और चंद्रिका गिरी ने कहते हैं, भीम महतो के इस पहल से बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकी। 




Suggested News