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खालिद उमर की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क पर उतरा वामदल, राजधानी रांची में किया प्रदर्शन

खालिद उमर की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क पर उतरा वामदल, राजधानी रांची में किया प्रदर्शन

Ranchi : दिल्ली हिंसा मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र खालिद उमर को गिरफ्तार किया गया है। वही कोर्ट ने उसे 10 दिनों न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इधर खालिद की गिरफ्तारी के विरोध में आज राजधानी रांची में वाम दलों की ओर से प्रदर्शन किया गया। 

राजधानी रांची के परमवीर अलबर्ट एक्का चौक पर किये गये इस प्रदर्शन में सीपीआई, सीपीआई (एमएल), जन संगठनों, सामाजिक संगठनों, सिविल सोसाइटी के लोग, प्रबुद्ध नागरिकों के अलावा रांची के शाहीन बाग (कडरू) आंदोलन मे शामिल महिलाओं ने शारीरिक दूरी और स्वास्थ्य मंत्रालय के एडवाइजरी का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। 

इस दौरान प्रदर्शन कर रहे नेताओं और लोगो ने कहा कि यूएपीए जैसे काले कानून के तहत दिल्ली दंगों में तथा कथित षड्यंत्र रचने के आरोप मे उमर खालिद की हुई गिरफ्तारी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी,भाकपा माले की कविता कृष्णन,स्वराज अभियान के योगेन्द्र यादव,सीपीआई की एनी राजा,जेएनयू की प्रोफेसर जयति घोष,दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद,वृत्त चित्र निर्माता राजीव राय समेत कई प्रख्यात नागरिकों को केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस द्वारा झूठे आपराधिक मुकदमे मे फंसाये जाने की कार्रवाई का रांची के नागरिक कड़ी भर्त्सना करते है। 

नेताओं ने कहा कि यह गिरफ्तारी यूएपीए में गिरफ्तार जेएनयू की नतासा नारवाल,देवांगना कलिता,आईसा की कंवलप्रीत कौर,कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां,जामिया की छात्रा मीरान हैदर,राजद के युवा नेता आशिफ तन्हा, एक्टिविस्ट सफुरा जरगर,गुलसिफा फातिमा और सिफर-उल रहमान की अगली कड़ी है।  

प्रदर्शकारियों ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली के भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए जहरीले भाषण के बाद हुए दंगों मे उन नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि इन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय का संरक्षण मिला हुआ था। लेकिन सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन मे शामिल इन युवाओं को लक्षित कर डरावने काले कानून यूएपीए मे गिरफ्तार करने का निर्देश केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली पुलिस को दिया गया। ताकि इन्हें जेलों मे सड़ाने का काम किया जा सके. 

यूएपीए जैसे घोर अलोकतांत्रिक प्रावधान ने सामान्य न्याय की प्रक्रिया को अवरुद्ध कर दिया है और इसका उपयोग लोकतान्त्रिक आन्दोलनों को दबाने और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले करने के लिए किया जा रहा है। निचली अदालतों मे यूएपीए के अंतर्गत गिरफ्तार निर्दोष लोगों को बेल नहीं मिल पाता है। यूएपीए के मामले में कई अदालतों ने स्पष्ट टिप्पणी की है आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कोई सबूत  पुलिस पेश नहीं कर पायी है. दिल्ली मे इसका इस्तेमाल सीएए का विरोध करने वालों को लक्ष्य कर उन्हें दिल्ली दंगों का आरोपी बनाए जाने के लिए किया जा रहा है। 

प्रदर्शन कर रहे नेताओं ने कहा कि  हम यह मांग करते है कि गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा लक्ष्य किए गए प्रगतिशील प्राध्यापकों,एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों को सम्मन जारी कर उनसे पूछताछ की कसरत अविलंब बंद की जाय। प्रगतिशील और वाम शक्तियों द्वारा संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह शुरू से ही सीएए - एनआरसी - एनपीआर का विरोध  किया जाता रहा है और यह जारी रहेगा।  

नेताओ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लोगों का दमन किए जाने की कार्रवाई की हम भर्त्सना करते हैं और दमन के शिकार लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए मांग करते हैं कि दिल्ली दंगों के मामले मे यूएपीए के तहत गिरफ्तार लोगों को रिहा किया जाय। हम यह भी मांग करते है कि दिल्ली दंगे की स्वतंत्र जांच उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त जज से करायी जाए। इस जांच मे गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस की पूर्वाग्रह से ग्रसित भूमिका को भी शामिल किया जाय। 

इस  विरोध प्रदर्शन में सीपीएम के प्रकाश विप्लव,भाकपा (माले) के जनार्दन प्रसाद, सीपीआई के अजय सिंह,मासस के सुशांतो, समीर दास,प्रफुल्ल लिंडा,सुखनाथ लोहरा, प्रकाश टोप्पो,भुवनेश्वर केवट,शुभेंदु सेन, एआईपीएफ़ के नदीम खान,जयंत पान्डे,वीणा लिंडा,सामाजिक कार्यकर्ता मो इक़बाल,मो बब्बर,जमील अख़्तर,असफ़र खान,शम्स तबरेज़,आसिफ अहमद,ऐपवा की शांति सेन, ऐति तिर्की,आईसा के मो सोहैल,नौरीन,तरुण, एडवा की रेणू प्रकाश,मोहन दत्ता,सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीर पीटर और विजय वर्मा,सुमन साहू,एनामुल हक समेत कई प्रबुद्ध नागरिकों ने हिस्सा लिया।

रांची से मो. मोईजुद्दीन की रिपोर्ट

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