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किशनगंज के संसदीय इतिहास में सिर्फ एकबार हिंदू उम्मीदवार ने लहराया है जीत का परचम, जानिए वो कौन थे

किशनगंज के संसदीय इतिहास में सिर्फ एकबार हिंदू उम्मीदवार ने लहराया है जीत का परचम, जानिए वो कौन थे

PATNA: बिहार का किशनगंज एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र हैं जहां अबतक के संसदीय इतिहास में सिर्फ एक बार हिंदू उम्मीदवार ने जीत का परचम लहराया है. वो थे लखन लाल कपूर जो पब्लिक सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर 1967 में चुनाव जीते थे. उसके बाद आज तक सिर्फ अल्पसंख्यक समाज के उम्मीदवार हीं चुनाव जीतते आए हैं. पहली दफा 1957 में किशनगंज लोकसभा सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एमडी ताहिर चुनाव जीते थे. उसके बाद वे 1962 में भी दुबारा जीत दर्ज की थी. लेकिन 1967 में लखनलाल कपूर किशनगंज से संसद पहुंचने में कामयाब हुए. इनके बाद मुस्लिम छोड़ कोई दूसरा नेता संसद का सफर नहीं तय कर सका. 

किशनगंज से ये लोग बने सांसद  

•             1957: एमडी ताहिर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

•             1962: एमडी ताहिर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

•             1967: लखन लाल कपूर, पी एस पी

•             1971: जमीलुर्रहमान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

•             1977: हलीमुद्दीन अहमद, भारतीय लोक दल

•             1980: जमीलुर्रहमान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

•             1985: सैयद शहाबुद्दीन, जनता पार्टी

•             1989: एम जे अकबर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

•             1991: सैयद शहाबुद्दीन, जनता दल

•             1996: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, जनता दल

•             1998: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, राष्ट्रीय जनता दल

•             1999: सैयद शाहनवाज हुसैन, भारतीय जनता पार्टी

•             2004: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, राष्ट्रीय जनता दल

•             2009: मोहम्मद असरारुल हक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

•             2014: मोहम्मद असरारुल हक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस


किशनगंज के रण में 14 प्रत्याशी 

इस बार कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. जदयू से सैयद महमूद अशरफ, कांग्रेस प्रत्याशी डा. मो. जावेद व एमआईएम प्रत्याशी अख्तरुल ईमान के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा. जदयू प्रत्याशी सैयद महमूद अशरफ दूसरी बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. पहली बार उन्होंने 2009 में जदयू से चुनाव लड़ा था. कांग्रेस प्रत्याशी डा. मो. जावेद पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं. हालांकि इससे पूर्व वे चार बार विधायक रह चुके हैं. जबकि एमआईएम प्रत्याशी अख्तरुल ईमान दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. 

मुस्लिम उम्मीदवारों के जीत की वजह

करीब साढ़े 16 लाख वोटरों वाली किशनगंज सीट पर 70 फीसद मुस्लिम मतदाता और 30 फीसदी हिन्दू मतदाता हैं. ऐसे में सारा समीकरण मुस्लिम वोटरों पर ही निर्भर रहता है. इसमें भी सूरजापुरी बहुल इलाका होने के कारण करीब तीन लाख वोटर सूरजापुरी बिरादरी से आते हैं. ऐसे में इनकी संख्या भी चुनावी गणित को प्रभावित करती है. कांग्रेस का गढ़ मानी जानेवाली इस सीट पर वर्ष 2009 व 2014 के चुनाव में स्थानीय सूरजापुरी बिरादरी से आनेवाले मौलाना असरारुल हक कासमी ने ही कांग्रेस से जीत का ताज पहना था. 


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