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70 साल बाद बंद हो गया लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब, कभी राजेंद्र प्रसाद नेहरू, माउंटबेटन और दादाभाई नौरोजी जैसे दिग्गजों की होती थी बैठकी

70 साल बाद बंद हो गया लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब, कभी राजेंद्र प्रसाद नेहरू, माउंटबेटन और दादाभाई नौरोजी जैसे दिग्गजों की होती थी बैठकी

लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब 70 साल बाद अब बंद हो गया. साल 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही यह इंडिया क्लब भारतीय प्रवासियों का दूसरा घर बना था .भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन क्लब के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे.  इंग्लैंड के इंडिया क्लब को बंद करने के खिलाफ काफी लंबी लड़ाई लड़ी गई, जिसमें समर्थकों को हार का सामना करना पड़ा. एतिहासिक बिल्डिंग लंदन के स्ट्रैंड के मध्य में स्थित है.  बिल्डिंग को तोड़कर कर यहां एक आधुनिक होटल के लिए रास्ता बनाया जाएगा.कृष्ण मेनन की बेटी फिरोजा ने इसे बंद करने की घोषणा की थी.लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब 17 सितंबर, 2023 को स्थायी रूप से बंद हो गया. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यूनाइटेड किंगडम का यह क्लब भारतीयों के लिए विश्राम स्थल हुआ करता था. यहां का रेस्तरां भारतीय खाना परोसता था.  सुनहरे दिनों में ब्रिटिश लोगों के साथ-साथ कई भारतीय राजनेता भी यहां आते रहें, बंद हो गया है.

 पिछले कुछ वर्षों में इसके आसपास कमर्शियल प्रॉपर्टी की संख्या बढ़ी थी. पूरे ब्रिटेन में किराए बढ़ने के कारण इसे कुछ समय के लिए बंद भी किया गया था. यह क्लब लंदन के स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल होटल में था. इसकी शुरुआत 1951 में इंडिया लीग द्वारा की गई थी.हाल में लंदन क्लब डोसा और करी परोसने के अलावा पैनल डिस्कशन और फिल्म स्क्रीनिंग भी आयोजित करने लगा था. 

स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन लंदन क्लब के कई प्रतिष्ठित आगंतुकों में से थे.  आर्किटेक्चरल डाइजेस्ट के एक लेख से पता चलता है कि क्लब की दीवारें उन प्रमुख भारतीय और ब्रिटिश हस्तियों के चित्रों से सजी हैं, जिन्होंने कभी न कभी क्लब का दौरा किया,  इसमें पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू, पहले ब्रिटिश भारतीय सांसद दादाभाई नौरोजी, दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल और भी कई लोगों की तस्वीर है. वेस्टमिंस्टर सिटी काउंसिल ने इस विस्तार योजना के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अनुमति देने से एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थान को नुकसान होगा. किराए में तेजी से बढ़ोतरी हुई,  ऐसे में इंडिया क्लब चलाना इसके मालिकों के लिए मुश्किल हो गया. अब इंडिया क्लब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है.


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