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महादलित विकास मिशन घोटाले में एक और वरिष्ठ IAS का आया नाम, नियमों को ताक पर ऱख अपने चहेते कंपनी को दिया प्रशिक्षण का कार्य

महादलित विकास मिशन घोटाले में एक और वरिष्ठ IAS का आया नाम, नियमों को ताक पर ऱख अपने चहेते कंपनी को दिया प्रशिक्षण का कार्य

PATNA : प्रदेश के चर्चित महादलित विकास मिशन घोटाले में अब एक और वरिष्ठ आईएस अधिकारी पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। अबतक कार्रवाई से वंचित रहे राज्य सरकार के खास माने जाने वाले आईएएस अधिकारी रवि मनु भाई परमार इस घोटाले में सीधे तौर पर कहीं ना कहीं फसते दिखाएं दे रहे हैं।

बताया जा रहा है कि जांच के दौरान यह पाया गया है कि परमार ने नियमों को ताक पर रखते हुए एक खास कंपनी को प्रशिक्षण का कार्य दे दिया। 

निगरानी विभाग की अधिकवक्ता आनंदी सिंह ने बताया कि महादलित विकास मिशन के अंतर्गत विभिन्न योजना मद में 38 ट्रेंडो में प्रशिक्षण का कार्य किया गया था। दशरथ मांझी कौशल विकास योजना के अंतर्गत माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलाया गया था। निविदा के माध्यम से श्री राम न्यू होराइजन को प्रशिक्षण का कार्य का कार्य आदेश दिया गया था। प्रति प्रशिक्षणार्थी 4081 रुपए के दर से 3 माह प्रशिक्षण के लिए एग्रीमेंट मिशन निदेशक बिहार दलित विकास मिशन एवं श्रीराम न्यू होराइजन के उपाध्यक्ष सौरव बसु के बीच हुई थी। 

उन्होंने पूर्व में अन्य ट्रेड में ऐसी व्यवस्था थी की जो एजेंसी प्रशिक्षण का कार्य करती थी वहीं एजेंसी उसी दर पर परीक्षा एवं प्रशिक्षण का कार्य भी करती थी अलग से परीक्षा एवं प्रमाण के लिए किसी भी ट्रेंड में एग्रीमेंट नहीं की गई थी। 

आनंदी सिंह ने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में पहली बार तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मनु भाई परमार के आदेश से मिशन निदेशक प्रभात कुमार ने परीक्षा एवं परमानंद के लिए एक अलग कंपनी आई आई आई एम लिमिटेड को बिना निविदा के ही 2 हजार प्रति प्रशिक्षणार्थी के दर से कार्य आदेश दिया गया। आई एम लिमिटेड के निदेशक शरद कुमार झा एवं मिशन निदेशक प्रभात कुमार के बीच परीक्षा एवं प्रमाणन के लिए एग्रीमेंट किया गया था। आईआईआईएम के निदेशक शरद कुमार झा का चयन प्रशिक्षण के लिए नहीं हो पाया था इसलिए उन्होंने बिना निविदा के परीक्षा एवं प्रमाणन का कार्य प्राप्त कर लिया। यह पूरी तरह से नियमों को ताक पर ऱखकर किया गया कार्य है। 

उन्होंने बताया कि अभीतक के जांच में यह बात सामने आई है कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मनु भाई परमार द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए बिना टेंडर किये ही आईआईआईएम जिसका पहले चयन नहीं हुआ था उसे काम आवंटित कर दिया गया। आनंदी सिंह ने कहा कि परमार द्वारा किये गये इसी कार्य से महादलित विकास मिशन घोटाले की शुरुआत हुई। 

कुंदन की रिपोर्ट

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