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महाशिवरात्रि विशेष : मोतिहारी के सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़, जानिए क्या है मान्यता

महाशिवरात्रि विशेष : मोतिहारी के सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़, जानिए क्या है मान्यता

MOTIHARI : मोतिहारी के 28 किलोमीटर दक्षिण में गंडक नदी के तट पर स्थित अरेराज में प्रसिद्ध मनोकामना पूरक पंचमुखी सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर स्थित है। प्रसिद्ध मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। पड़ोसी देश नेपाल, उत्तर प्रदेश सहित बिहार के भिन्न भिन्न जिलो से भक्त जलाभिषेक के लिए यहाँ पहुँचते है। भक्तो की सुरक्षा को लेकर चप्पे चप्पे पर दण्डाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी ,सुरक्षा बल,ड्रॉप व फिक्स गेट ,नियंत्रण कक्ष बनाये गए है। वही श्रद्धालुओ की सुरक्षा को लेकर अदभुत प्रकाश ,शुद्ध पेयजल,साफ सफाई ,स्वास्थ्य शिविर सहित बेहतर व्यवस्था किया गया है।

धार्मिक आध्यात्मिक व पौराणिकता के कारण प्रसिद्ध सोमेश्वरनाथ महादेव  की महिमा स्कन्दपुराण ,नेपाल महात्म्य सहित कई ग्रंथो में अंकित है। प्रसिद्ध सोमेश्वरनाथ महादेव की स्थापना के विषय मे ऐसी मान्यता है कि महर्षि गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या द्वारा चन्द्रमा को शाप दिया गया था। शाप के कारण उनके पूरे शरीर मे घाव हो गया था। इस दु:ख के कारण चंद्रमा अत्यंत दुखित थे। इस महासंकट से बचने के लिए सोम (चन्द्रमा)महर्षि  अगस्त ऋषि के पास जा कर प्रार्थना किया। इस पर महर्षि ने नेपाल से सटे नारायणी नदी के तट पर अवस्थित अरण्यराज नामक स्थान पर जो घनों वृक्षों से आच्छादित है। वही शिवलिंग का स्थापना कर उनका पूजा अर्चना करे। उसके बाद श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। यही अरण्यराज अब अरेराज के नाम से प्रसिद्ध है। 

महर्षि के कहने पर चंद्रमा द्वारा नारायणी नदी के तट पर गहवर में शिव लिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना किया गया। उसके बाद से सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर के दक्षिण में मार्कण्डेय पोखर है। जिसमे स्नान के बाद लोगो का असाध्य से असाध्य रोग ठीक हो जाता है। सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में माता सीता व भगवान राम द्वारा पूजा अर्चना करने के उपरांत माता सीता द्वारा पुत्र प्राप्ति की वर मांगा गया था। पुत्र प्राप्ति के बाद माता सीता व भगवान राम द्वारा शिव पार्वती मंदिर पर पगड़ी  तनवाय गया। उसके बाद से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध शिव लिंग माना जाता है। वही आंचल पर नटुआ का नाच नचवाने की भी परंपरा आज भी है। 

वही जब पांडव वनवासी हो गए राजसत्ता उनके हाथ से चली गयी। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से  राजसत्ता पुनः वापसी के लिए प्रार्थना किया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें परामर्श दिया था कि अज्ञातवास के क्रम में विराटनगर की यात्रा पर जाएंगे तो मार्ग में गंडक तट पर अरण्यराज मिलेगा। जहाँ चंद्रमा द्वारा गहवर में स्थापित शिवलिंग मिलेगा। जिसके जलाभिषेक,पूजा अर्चना व महाश्रृंगार पूजन करने के बाद राज्यसत्ता की प्राप्ति होगी। ग्रंथो के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा एक माह सावन भर गंडक नदी से जल भरकर जलाभिषेक व कमल पुष्प से श्रृंगार किया गया। उसके बाद से कमल पुष्पो से महाश्रृंगार की परंपरा है। प्रसिद्ध सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में पूरे सावन मास ,बसंत पंचमी,महाशिवरात्रि, अंनत चतुर्दशी ,फाल्गुनी तेरस सहित सभी सोमवार व शुक्रवार को भक्तो की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में पड़ोसी देश नेपाल,उत्तरप्रदेश सहित बिहार के सभी जिलों से श्रद्धालु भिन्न भिन्न नदियों से जलभरी कर जलाभिषेक कर मंगलकामना करते है। 

मोतिहारी से हिमांशु की रिपोर्ट

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