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NDA में अलग-थलग पड़े मांझी! JDU ने भी जीतनराम मांझी का नहीं दिया साथ, अब क्या करेंगे.....

NDA में अलग-थलग पड़े मांझी!  JDU ने भी जीतनराम मांझी का नहीं दिया साथ, अब क्या करेंगे.....

PATNA: पूर्व मुख्यमंत्री व हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी बयानों के लिए जाने जाते हैं। मांझी अपनी बयानों से सहयोगी दलों को भी असहज कर देते हैं। जेडीयू के पार्टनर जीतनराम मांझी समय-समय पर नीतीश सरकार को भी घेरने से बाज नहीं आते। इधर एनडीए के सबसे बड़े दल बीजेपी ने जब नीतीश सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किये तो बचाव में मांझी उतरे। इस तरह से मांझी ने सीधे बीजेपी से पंगा ले लिया। भाजपा ने जब मांझी पर आंखें तरेरी तो उनकी तरफ से एनडीए में कॉ-ऑडिनेशन कमेटि की मांग छेड़ दी गई है। हम की मांग को पहले बीजेपी ने खारिज किया इसके बाद जेडीयू ने भी मांझी की मांग को औचित्यविहीन करार दे दिया। इस तरह मांझी अब एनडीए में भी अकेले पड़ गये। 

अकेले पड़े मांझी

जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष व विधान पार्षद उपेन्द्र कुशवाहा ने जीतनराम मांझी की को-आर्डिनेशन कमेटी की मांग को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मांग का कोई औचित्य नहीं है। कुशवाहा ने कहा कि अगर किसी को कोई परेशानी है तो इंटरनल फोरम पर बात करनी चाहिए। सरकार किसी एक की नहीं है बल्कि सब की है। हर बात का हर समय उठाना जरूरी नहीं है। जो सवाल उठाया गया वो अभी नहीं उठाया जाना चाहिए। 

मांझी की मांग पुरानी

 वैसे मांझी की को-ऑडिनेशन कमेटि की मांग कोई नई बात नहीं है। महागठबंधन में भी वे इस मांग रख कर अपनी भद्द पिटवा चुके हैं। महागठबंधन में जब मांझी की पूछ घट गई थी तो वहां भी को-ऑडिनेशन बनाने को लेकर दबाव बनाने लगे थे। लेकिन गठबंधन के सबसे बड़े दल राजद ने मांझी की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। इस तरह से को-ऑडिनेशन कमिटी की मांग करते-करते मांझी महागठबंधन से अलग हो गये थे।  अब एनडीए में मांझी ने जब को-ऑडिनेशन कमिटी की मांग की तो सबसे बड़े दल बीजेपी ने बेकार की मांग करार दे दिया. बीजेपी ने साफ कह दिया है कि दो बड़े दलों के बीच भ्रम पैदा करने वाले लोग बेनकाब हो जायेंगे।


मांझी फैला रहे भ्रम-बीजेपी

बीजेपी के पेट में दर्द की बात कहने वाले मांझी की तरफ से आज एनडीए में को-ऑडिनेश कमिटी बनाने की मांग की गई है। मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने नीतीश सरकार में सबसे बड़े दल बीजेपी पर हमला बोला। लगे हाथ को-ऑडिनेश कमिटी बनाने की मांग भी उठा दी। हम ने कहा कि भाजपा के कुछ नेता सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे लोग सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करके विपक्ष को मौका दे रहे हैं। इसलिए NDA में को-आर्डिनेशन कमिटी बने नहीं तो हालात खऱाब हो सकते हैं. मांझी की तरफ से इस मांग के बाद बीजेपी और भी आक्रामक हो गई है। पार्टी के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि बीजेपी-जेडीयू के बीच काफी अच्छा संबंध है। कुछ लोग भ्रम फैलाना चाहते हैं। दो बड़े दलों के बीच भ्रम फैलाने वाले लोग बेनकाब हो जायेंगे और अलग हो जायेंगे। 

बीजेपी ने दलितों के धर्मांतरण का मुद्दा उठा नीतीश सरकार को घेरा था

दरअसल, बीजेपी की तरफ से बिहार के कई जिलों में अल्पसंख्यकों द्वारा दलित और कमजोर वर्ग के लोगों को प्रताड़ित करने, जबरन धर्मातरण कराने का मामला उठाया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कई जिलों में अल्पसंख्यक समाज के लोगों द्वारा किये जा रहे हरकत और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये. लगे हाथ बीजेपी कोटे के मंत्री जनक राम ने दो जिलों के एसपी-डीएम को पत्र लिखकर अल्पसंख्यक समाज के लोगों द्वारा दलित लड़कियों का अपहरण कर और धर्मांतरण करा शादी करने करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने को कहा। इसके बाद बिहार की राजनीति गरम हो गई। बीजेपी की तरफ से नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किये जाने के बाद जेडीयू का कोई नेता सामने नहीं आया। बचाव में जेडीयू के सहयोगी पूर्व सीएम जीतनराम मांझी सामने आये। मांझी ने बिना नाम लिये बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल पर बड़ा हमला बोला। 

जानिए मांझी ने क्या कहा था

मांझी ने इशारों में करारा जवाब देते हुए कहा कि पूर्णिया की घटना के बाद वहां के मुस्लिम समाज के लोगों ने दलित समाज के भाईयों के पक्ष में खड़े रहकर बता दिया कि सूबे के दलित-मुस्लिम एकजुट है। लेकिन दलित-मुस्लिम एकता से आपके पेट में दर्द हो रहा है वही बिहार सरकार के उपर उंगली उठा रहें हैं। बिहार में क़ानून अपना काम कर रहा है। हालांकि इस दौरान उन्होंने खुलकर जायसवाल का नाम नहीं लिया। मांझी ने साफ कर दिया कि जो लोग सवाल उठा रहे हैं उन्हें खुद में झांकने की जरुरत है।

तब बीजेपी ने मांझी को दिखाया था आईना 

बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक राजीव रंजन ने जीतनराम मांझी पर हमला बोलते हुए कहा कि अनुकंपा पर राजनीति करने वाले दलित नेताओं का सच जानिए...बंगाल हिंसा: चुप ,बायसी हिंसा: चुप,चंपारण हिंसा: चुप .और अगर कोई आइना दिखा दे तो, हाय मेरा दलित मुस्लिम एकता, हाय मेरा वोटबैंक, हाय मेरा सेक्युलरिज्म .दलितों की लाशें गिरने के बाद भी यह जोगेन्द्रनाथ_मंडल आंख खोलने से डरते हैं.



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