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मौका देखकर चौका मार गये तारिक अनवर, पवार के सहारे सांसद बनने की नहीं थी उम्मीद

मौका देखकर चौका मार गये तारिक अनवर, पवार के सहारे सांसद बनने की नहीं थी उम्मीद

PATNA: बिहार के कटिहार से सांसद तारिक अनवर मौका देख कर चौका मार गये.राफेल के मसले पर NCP और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने वाले तारिक को अब शरद पवार से कोई आस नहीं बची थी. लिहाजा मौका मिलते ही पवार का दामन छोड़ने का फैसला ले लिया.

तारिक ने अचानक क्यों दिया इस्तीफा

2014 में दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही शरद पवार और नरेंद्र मोदी के बीच लव-हेट का रिश्ता चलता रहा है. पवार कई मौके पर नरेंद्र मोदी से अपनी निकटता जाहिर कर चुके हैं. लेकिन तारिक अनवर को अभी सही मौका नजर आया. दरअसल, तारिक को 2019 के लोकसभा चुनाव का गणित नजर आ रहा है. शरद पवार जिस तरह से बयान बदल रहे हैं उससे कांग्रेस से उनकी दोस्ती बरकरार रहने पर संदेह खड़ा हो गया था. कांग्रेस के बगैर शरद पवार भले ही महाराष्ट्र में चुनाव लड़ लें लेकिन बिहार के कटिहार से चुनाव जीतने के लिए तारिक को हर हाल में कांग्रेस और RJD का साथ चाहिये. 1998 के बाद तारिक तभी लोकसभा चुनाव जीत पाये हैं जब लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस ने उनका समर्थन किया.

कांग्रेस में जायेंगे तारिक?

तारिक जानते हैं कि 2019 में भी चुनाव जीतने के लिए उन्हें हर हाल में RJD-कांग्रेस का आशीर्वाद चाहिये. बिहार में शरद पवार के नाम पर एक भी वोट मिलने से रहा. हालांकि शरद पवार 2004 और 2010 में उन्हें महाराष्ट्र से राज्यसभा भेज चुके हैं. लेकिन अब NCP को शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले चलाने लगी हैं. लिहाजा तारिक अनवर को भविष्य में भी महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजने की संभावना भी खत्म हो गयी है. ऐसे में विकल्प सिर्फ और सिर्फ एक बचा है कि कटिहार से ही लोकसभा में जाने का जुगाड़ लगाया जाये. सियासी जानकार बताते हैं कि तमाम समीकरणों को देखकर ही तारिक ने इस्तीफे का एलान किया है. सूत्रो की मानें तो राहुल गांधी से उनकी बातचीत हो चुकी है. तारिक अनवर कांग्रेस से ही अगला चुनाव लड़ेंगे.

अपने वक्त के दिग्गज कांग्रेसी नेता थे तारिक

तारिक अनवर से 1999 में कांग्रेस छोड़ी थी. सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मसले पर शरद पवार, पी ए संगमा और तारिक अनवर ने एक साथ कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) बनायी थी. तारिक अनवर उस दौर में कांग्रेस के दिग्गज नेता हुआ करते थे. 1970 के दशक में राजनीति शुरू करने वाले तारिक उस दौर में सीताराम केसरी के प्रिय शिष्य हुआ करते थे. उनकी कृपा से ही वे 1976 में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने और फिर मुड़कर नहीं देखा. 1980 में सांसद पहली दफे सांसद बने तारिक 1999 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और कांग्रेस राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य थे. तब उनकी हैसियत शरद पवार के बराबर की हुआ करती थी. लेकिन 1999 में NCP के गठन का दांव उल्टा साबित हुआ और तारिक अनवर शरद पवार के पिछलग्गु बन कर रह गये. शरद पवार की कृपा पर ही वे महाराष्ट्र से दो दफे सांसद और केंद्र में राज्यमंत्री भी रहे. लेकिन NCP की कमान शऱद पवार की बेटी के हाथों में जा रही थी और तारिक अनवर पार्टी के लिए अप्रासंगिक होते जा रहे थे.


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