दिल्ली: दवा कंपनियों को सरकार एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स में बदलाव करने की अनुमति देने वाली है. पिछले काफी समय से दवा कंपनियां बढ़ती महंगाई के कारण दवाओं की कीमत बढ़ाने की अनुमति मांग रही थी. 1 अप्रैल से जरूरी दवाओं के लिए अपको ज्यादा पैसा चुकाना पड़ सकता है. जरुरी दवाओं के लिए अब ज्यादा पैसा देना पड़ेगा. पेनकिलर्स, एंटीबायोटिक, दिल की दवाओं के दाम एक अप्रैल से बढ़ जाएंगे. एसे में एक बार फिर मंहगाई की मार फिर पड़ेगी. कुल 800 जरूरी हैं, जिनकी कीमतें बढ़ सकती हैं.
दवाओं के रेट पर 55 फिसदी का बदलाव
केंद्र सरकार दवाओं के रेट बढ़ाने को लेकर सहमत हो गई है. दवाओं के दरों में बदलाव एनुअल होलसेल प्राइज इंडेक्स में परिवर्तन के अनुसार होगा. दवा कंपनियां लंबे समय से दवाओं के रेट में इजाफे की मांग रख रही थी. दवाओं के रेट पर 55 फिसदी का बदलाव देखने को मिल सकता है. इन जरूरी दवाओं में वो दवाएं भी हैं, जो लोग आम तौर पर इस्तेमाल करते हैं. इसमें पैरासिटामोल, एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स, एनीमिया-विराधी दवाएं, विटामिन और आयरन की दवाएं भी शामिल हैं. हजारों भारतीय फार्मा कंपनियों के सहयोग से बने एक संगठन ने इस बारे में सरकार से अनुरोध किया था. इस अनुरोध के बाद सरकार ने दवाओं के रेट में इजाफे पर सहमती बनाई है.
हाल के दिनों में हुई है 15 से 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी
इससे पहले साल 2022 में दवाओं की कीमत 12 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. पिछले कुछ सालों में दवा में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों की कीमत भी बढ़ी है. इसमें भी 15 से 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पेरासिटामोल में 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी वहीं एक्सीसिएंट्स के दाम 18-262 प्रतिशत बढ़े हैं. इसके अलावा कई दवाओं की कीमत बढ़ी है.
पेनिसिलिन जी 175 प्रतिशत महंगा
पेरासिटामोल की कीमत 130 प्रतिशत और एक्सीसिएंट्स की कीमत 18-262 प्रतिशत बढ़ी है. ग्लिसरीन और प्रोपलीन ग्लाइकोल, सिरप, सहित सॉल्वैंट्स क्रमश: 263 प्रतिशत और 83 प्रतिशत महंगे हो गए हैं. इंटरमीडिएट्स की कीमतें 11 से 175 प्रतिशत के बीच बढ़ी हैं. वहीं पेनिसिलिन जी 175 प्रतिशत महंगा हो गया है. कोविड-19 की बीमारी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं और स्टेरॉयड भी इस लिस्ट में हैं.