PATNA : बिहार में निकाय चुनाव को लेकर नगर विकास मंत्री तार किशोर प्रसाद विधानसभा में भले ही यह कह रहे हों कि इलेक्शन समय पर कराए जाएंगे, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग की बातों से यह लगभग स्पष्ट है कि पंचायत चुनाव की तरह निकाय चुनाव भी समय पर संपन्न नहीं हो सकेंगे। जून 2022 में नगरपालिका के निर्वाचित पार्षदों का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। लेकिन जो आसार बन रहे हैं, इसके पूर्व अप्रैल व मई में चुनाव करा पाना मुश्किल है। ऐसे में निकायों के लिए पंचायतों की तरह चुनाव होने तक दूसरे विकल्पों पर विचार करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का होगा पालन
बिहार में नगर निकाय चुनाव एवं पंचायत उपचुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर विकास विभाग एवं पंचायतीराज विभाग से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अमल करने की सिफारिश की है। ताकि इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जा सके। आयोग ने सरकार से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के न्याय-निर्णय के आलोक में ही राज्य में आगामी चुनाव कराया जाना है। उसी अनुरूप पिछड़े वर्ग के आरक्षण का अनुपात तय करना है।
बनाई जाएगी कमेटी
जानकारी के अनुसार, इसी आलोक में सरकार ने अपनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है। नगर विकास विभाग एवं पंचायतीराज विभाग विधि विभाग व राज्य के महाधिवक्ता से निरंतर संपर्क में है और उनसे परामर्श मांगा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के न्याय-निर्णय के आलोक में सरकार ने विशेष कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है। कमेटी की रिपोर्ट पर आगे कार्रवाई करने का निर्णय लिया जाएगा।
जनसंख्या के आधार पर होना है वार्डों का गठन
जनसंख्या के आधार पर वार्डो के गठन के बाद ही मतदाता सूची तैयार होगी और बूथों का गठन होगा। चुनाव को लेकर सीटों पर नगर निकायवार पिछड़े वर्ग की विभिन्न जातियों के लिए आरक्षण तय करने होंगे। तभी चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। जाहिर है कि इन सारी व्यवस्थाओं के लिए निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार को समय देना होगा।
अभी 20 फीसदी पिछड़ों को आरक्षण
राज्य में नगरपालिका चुनाव के तहत पिछड़े वर्ग को अभी 20 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। आयोग सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के न्याय-निर्णय के अनुसार नगर निकायों के चुनाव के पहले पिछड़े वर्ग की उप जातियों के लिए आरक्षण तय किया जाना है। इसी आधार पर पार्षद का चुनाव होगा। इस बार नवगठित नगर निकायों, उत्क्रमित नगर निकायों और सीमा विस्तारित नगर निकायों के मेयर-डिप्टी मेयर, सभापति और उप सभापति का चुनाव भी होना है। अभी राज्य सरकार ने मेयर- डिप्टी मेयर तथा सभापति-उप सभापति के चुनाव खर्च का भी निर्धारण नहीं किया है।
राज्यसभा में सुशील मोदी ने उठाया मुद्दा, नई व्यवस्था के लिए राज्यों के पास आंकड़ा नहीं
पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि सेवा और शिक्षा में आरक्षण राजनीतिक आरक्षण से अलग है। इसलिए दोनों की सूची अलग-अलग होगी। राज्यों के पास कोई आंकड़ा नहीं है और नया आयोग बनाने का अर्थ है कि लंबे समय तक चुनाव टालने पड़ेंगे। ऐसी सूची बनाना भी अत्यंत कठिन है। 29 मार्च को उन्होंने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाया था।