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न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और निष्पक्षता को बनाये रखने की जरूरत- योगेश चन्द्र वर्मा

न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और निष्पक्षता को बनाये रखने की जरूरत- योगेश चन्द्र वर्मा

पटना. भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र और निष्पक्ष माना जाता है। वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि इधर कुछ मुद्दों पर न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर जो टिप्पणी हो रही है, इससे न्यायपालिका के स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।

उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम व्यवस्था में परिवर्तन करने की बात हो रही है। उन्होंने कहा कि एक तो कॉलेजियम प्रणाली में परिवर्तन लाने की बात पहले से हो रही है। लेकिन जब तक विकल्प नहीं ढूंढा जाता, तब तक उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्तियां कैसे होंगी। उन्होंने कहा कि ये भी कहा जा रहा है कि संसद जब कोई कानून बनाती है, तो उसे न्यायपालिका को पुनर्विचार करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के तहत न्यायपालिका को ये अधिकार प्राप्त हैं।

एक और महत्वपूर्ण बिंदु पर भी चर्चा हो रही कि जमानत से सम्बंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में क्यों जाते हैं। इससे सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की संख्या ही बढ़ती है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और निष्पक्षता को बनाए रखने की जरूरत है, ताकि भारत की जनता को प्रभावी और समय पर न्याय मिल सके।

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