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न घर के रहे ना घाट के RCP बाबू, नीतीश ने “रामचंद्र” को दे दिया वनवास ?

न घर के रहे ना घाट के RCP बाबू, नीतीश ने “रामचंद्र” को दे दिया वनवास ?

PATNA: 15 सालों तक बिहार पर राज करने वाले “रामचंद्र” का वनवास शुरू हो गया है. नीतीश कुमार ने अपने राम के पर कतर दिये हैं. अब आलम ये है कि RCP बाबू न घर के रहे ना घाट के. सरकार की कमान तो पहले ही हाथ से निकल चुकी थी, अब पार्टी भी गयी.

ताबूत की आखिरी कील बन गये प्रशांत किशोर

सियासी हलके में चर्चा यही है कि नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना कर रामचंद्र बाबू यानि RCP सिंह की ताबूत में आखिरी कील भी ठोंक दी है. प्रशांत किशोर जेडीयू में नंबर दो बन गये हैं. इस जगह पर अब तक RCP बाबू विराजमान थे. लेकिन अब पार्टी में उनकी हैसियत कमोबेश वही हो गयी है जो श्याम रजक, गुलाम रसूल बलियावी जैसे दूसरे महासचिवों की है. पार्टी की कमान अब प्रशांत किशोर संभालेंगे. दुर्गा पूजा के बाद प्रशांत किशोर बिहार में अपना डेरा-डंडा लेकर बैठने वाले हैं. रणनीति प्रशांत किशोर बनायेंगे, RCP बाबू उसका पालन करेंगे. जदयू सूत्रों ने कंफर्म कर दिया है कि प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे. उनके कामकाज के लिए सरकारी बंगला तलाशा जा रहा है, पूजा के तुरंत बाद उसे PK को सौंप दिया जायेगा.

सरकार से पहले ही आउट हो गये थे RCP सिंह

सियासी गलियारे पर नजर रखने वाले जानते हैं कि RCP सिंह सरकार से पहले ही आउट हो गये थे. 6 महीने पहले तेजस्वी यादव और उनकी मंडली ने RCP टैक्स का शोर मचाना शुरू कर दिया था. आरोप ये था कि बिहार सरकार के अहम फैसलों से लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग तक RCP सिंह के घर से तय होता है. अपने दामन को साफ रखने के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार रहने वाले नीतीश कुमार ने उसी वक्त सरकार के कामकाज से RCP सिंह के रोल को खत्म कर दिया था. चर्चा ये है कि पिछले 6 महीने से सरकार “चुलबुले” नाम वाले अधिकारी चला रहे हैं. DM-SP से लेकर SDO-DSP तक के ट्रांसफर की फाइल उन्हीं के चैंबर में फाइनल होती है. 

सरकार से आउट होने पर झलकी थी RCP की बेचैनी

सरकार की कमान छिनने का दर्द RCP सिंह के बयानों से भी झलका था. जेडीयू के कई कार्यक्रमों में उन्होंने अधिकारियों को राजनीति न करने का खुला बयान दिया था. जानकारों की मानें तो RCP सिंह की ये नसीहत चुलबुले नाम वाले अधिकारी के लिए ही थी. ये दीगर बात है कि RCP सिंह की नसीहत का कहीं कोई असर नहीं था.

बेटी की पोस्टिंग में भी RCP बाबू की नहीं चली

सत्ता के गलियारे में हो रही चर्चाओं के मुताबिक RCP बाबू की अपनी बेटी लिपि सिंह की पोस्टिंग में भी नहीं चली. लिपि सिंह ट्रेनी IPS हैं और चर्चाओं के मुताबिक RCP बाबू अपनी बेटी की पोस्टिंग दानापुर के SDPO के तौर पर कराना चाह रहे थे. लेकिन सरकार ने लिपि सिंह को बाढ़ का SDPO बनाया. 

RCP के बंगले से भीड़ गायब

ज्यादा दिन नहीं हुए जब RCP सिंह के बंगले पर गाड़ियों की कतार लगी रहती थी. अब आलम ये है कि उनके बंगले के बाहर इक्का-दुक्का गाड़ियां नजर आती हैं. मिलने वाले लोग भी चुनिंदे. 7, स्ट्रैंड रोड स्थित ये बंगला वैसे तो जेडीयू के विधान पार्षद संजय गांधी के नाम पर आवंटित है लेकिन वो RCP सिंह का ही स्थायी ठिकाना रहा है. 

पार्टी में RCP के भविष्य पर अटकलें

जानकारों की मानें तो सरकार की कमान छिनने के बाद नीतीश कुमार ने RCP सिंह को पार्टी चलाने को कहा था. लिहाजा, RCP सिंह पूरे बिहार में घूम कर पार्टी का कार्यक्रम कर रहे थे. अति पिछड़ों को गोलबंद करने के लिए RCP सिंह ने पूरे राज्य में रोड शो किया. लेकिन रेस्पांस सही नहीं रहा. लिहाजा, अगले चरण में पार्टी ने जब दलित, महिला और अल्पसंख्यकों का सम्मेलन करना शुरू किया तो RCP सिंह की भूमिका कम कर दी गयी. उन्हें भी दूसरे महासचिवों या मंत्रियों की तरह कुछ जिलों में ही सम्मेलन कराने की जिम्मेवारी मिली. सूत्रो की मानें तो प्रशांत किशोर के बिहार में डेरा जमा लेने के बाद RCP सिंह का रोल और कम किया जायेगा. 

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