एक सप्ताह में दूसरी बार चिराग पासवान से मिले नित्यानंद राय, बिहार में नीतीश को घेरने के लिए खाने के टेबल पर पकी सियासी खिचड़ी

पटना/दिल्ली. बिहार में सियासी उठापटक की राजनीतिक रणनीतियों के बीच भाजपा अपने कुनबे को मजबूत करने में लगी है. भाजपा  एनडीए को बिहार में मजबूत करने की योजना बनाने में लगी है और उसमें लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)  के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को अपने पाले में लाने में लगी है. इसी क्रम में  केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने शुक्रवार देर रात नई दिल्ली स्थित चिराग के आवास पर उनसे मुलाकात की. दोनों ने एक साथ खाना खाया. सूत्रों का कहना है कि दोनों की खाने के टेबल पर हुई इस मुलाकात में बिहार के लिए नई सियासी खिचड़ी पकाई गई. 

दरअसल, 18 जुलाई को दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक में चिराग पासवान को हर हाल में भाजपा शामिल करना चाहती है. पिछले एक सप्ताह के दौरान यह दूसरा मौका है जब नित्यानंद राय ने चिराग से मुलाकात की है. इसके पहले पटना में दोनों की मुलाकात हुई थी और अब दिल्ली में दोनों मिले हैं. सूत्रों का खाना है कि चिराग पासवान ने एनडीए में शामिल होने के लिए कुछ शर्त रखी है. इसमें भाजपा उन्हें केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनाने पर सहमत बताई जाती है. लेकिन चिराग जिन अन्य शर्तों पर अडिग बताए जाते हैं उसमें लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बिहार में कम से कम 6 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सीट देना प्रमुख मुद्दा है. पिछले लोकसभा चुनाव में लोजपा ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी. माना जाता है कि इस पर अभी तक सहमति नहीं बनी है. 


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वहीं चिराग की दूसरी शर्त में उनके चाचा पशुपति पारस को लेकर है. पशुपति और चिराग के बीच के तल्ख रिश्ते जगजाहिर हैं. ऐसे में चिराग और पशुपति दोनों को एक साथ एनडीए में रखने पर भाजपा को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है. साथ ही दोनों के बीच कुछ लोकसभा सीटों को लेकर भी विवाद है. इस पर सहमति बनाने के लिए संभवतः नित्यानंद राय मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे है. 

एनडीए को मजबूत दिखाकर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा एक बड़ी रणनीती बनाने में लगी है. इसमें नीतीश सरकार के महागठबंधन के छह घटक दलों के मुकाबले एनडीए के साथ अब तक पशुपति पारस और जीतन राम मांझी जैसे नेता ही हैं. अगर चिराग का साथ मिलता है तो पासवान बिरदारी के बड़े वोट बैंक को भी साधने में भाजपा इस बहाने सफल होगी. चिराग की सियासी ताकत को देखते हुए अब पार्टी ने उनकी कुछ शर्तों पर सभवतः मध्यस्थ बनाकर नित्यानंद राय को भेज रखा है जो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का संदेश लेकर बार बारचिराग से मिल रहे है.