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ओवैसी से कैसे पार पाएंगे तेजस्वी यादव, 47 सीटों पर लालू यादव के वोट में सेंधमारी के डर से टेंशन में है महागठबंधन

ओवैसी से कैसे पार पाएंगे तेजस्वी यादव, 47 सीटों पर लालू यादव के वोट में सेंधमारी के डर से टेंशन में है महागठबंधन

PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अब जल्द हो सकता है. चुनावी गहमागहमी के बीच अब राजनीतिक पार्टियों ने सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए प्लान बनाना शुरू कर दिया है. राजद चीफ लालू यादव मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण की बदौलत सूबे की कमान संभाल चुके हैं.

ओवैसी से है तेजस्वी को डर
लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को ओवैसी से डर है. AIMIM के चीफ ओवैसी इस बार विधानसभा चुनाव में ताल ठोकेंगे. ओवैसी की एंट्री से राजद को यह डर है कि उसके मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण में सेंधमारी हो सकती है. ओवैसी उपचुनाव में अपनी मौजूदगी दिखा चुके हैं.

47 सीटों पर फंस सकता है पेंच
सूबे में मुस्लिम आबादी 16 फीसदी और यादवों की आबादी 14 फीसदी के करीब है .बिहार में विधान सभा की 243 सीटों में से 47 विधान सभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 से 40 फीसदी तक है और यही सामाजिक वर्ग वहां चुनावों में उम्मीदवारों की हार-जीत तय करता है. राजद पहले से मुस्लिम वोटों को लेकर आश्वस्त रहता था लेकिन इस बार ओवैसी की एंट्री के बाद इन वोटों में सेंधमारी के खतरे को देखते हुए तेजस्वी यादव थोड़े चिंतित हैं. 

2010 जैसे बन रहे हैं हालात
चूंकि, राज्य में राजनीतिक समीकरण और गठबंधन 2010 के विधान सभा चुनाव जैसी हैं. लिहाजा, उम्मीद की जाती है कि उसके ही मुताबिक वोटिंग पैटर्न होगा. साल 2015 में सत्ताधारी जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. नीतीश कुमार की पार्टी ने लालू यादव और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन फिलहाल जेडीयू फिर से बीजेपी के साथ जा चुकी है। 2010 में भी बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था.

बदले सकते हैं समीकरण
पिछले दस सालों में सामाजिक समीकरण बदले हैं. नीतीश सरकार के खिलाफ भी एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर हावी हुए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि तीन तलाक, नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले के बाद मुस्लिम वोटों का झुकाव राजद-कांग्रेस वाले गठबंधन की तरफ हो लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राज्य के 22 मुस्लिम बहुल जिलों की 32 विधान सभा सीटों पर ताल ठोकने का एलान किया है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ओवैसी के इस ऐलान के बाद महागठबंधन पर आंच आना तय है. लेकिन देखना होगा को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इस गांठ का क्या तोड़ निकालते हैं.

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