पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को मुआवजा मामले में दिया अहम फैसला, जानिए क्या है पूरा मामला

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने किसी नाबालिग के बलात्कार की जुर्म होने पर पीड़िता को मुआवजे देने के मामलें में महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि यदि पीड़िता के परिवार वाले क्षतिपूर्ति के लिए आगे नहीं भी आते हैं, तो सम्बन्धित जिले के विधिक सेवा प्राधिकार को राज्य क्षतिपूर्ति योजना के तहत पीड़िता के परिवार को पहचान कर उसे मुआवजे की राशि का भुगतान करे। 2021 मे मुजफ्फरपुर और मधुबनी जिलों में नाबालिग लड़कियों के साथ हुए बलात्कार एवं उसमे से एक को बलात्कार करने के बाद जिंदा जलाने और दूसरे के आँख फोड़ देने की लोमहर्षक घटना सामने आयी। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने इन मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने सम्बन्धित जिलों के विधिक सेवा प्राधिकार को आदेश  दिया है कि दो महीने के अंदर पीड़िता के परिवारों को अंतरिम मुआवज़ा दें। साथ ही समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया गया कि पीड़िता के परिवार के पुनर्स्थापना हेतु सारी प्रक्रिया को कानूनी रूप से दो महीने में पूरी करें। कोर्ट ने पटना स्थित यूनिसेफ ऑफिस के चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर मंसूर कादरी की ईमेल पर स्वतः दायर जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा की हम बहुत भारी हृदय से इस मामले को समाप्त कर रहे है। पीड़िता लड़कियों और उनके परिवार के साथ जो हुआ, उसकी भरपाई कोई मुआवजा या राशि नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि फिर भी कानूनी रूप से हम जो कर सकते है ,उसको ही सुनिश्चित करना इस पीआईएल का उद्देश्य था,जो अब लगभग पूरा हो चुका। हाईकोर्ट ने दोनों जिलों के विशेष पोक्सो अदालत को भी आदेश दिया ट्रायल खत्म हो जाने के बाद पोक्सो कानून की तहत जो मुआवजे देना है, उस पर ज़रूर विचार करेंगे। 

गौरतलब है कि इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पुलिस वरीय अधिकारियों व सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को बीच-बीच में उचित निर्देश देते हुए यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता के परिवारों को न सिर्फ मुआवजा मिले, बल्कि उनके पुनर्वास उन्हें महीने में मुफ्त मिलने वाले राशन अनाज योजना का भी लाभ उन तक पहुंचे। जिस पीडित बच्ची का आंख को फोड़ दिया गया था। उसका सबसे अच्छा इलाज पटना के सर्वोत्तम सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हाईकोर्ट आदेश के आलोक में किया गया। जिस पुलिस अफसर लापरवाही के कारण ये घटना हुई,उसको पुलिस के वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में डाल दिए थे। उनके खिलाफ एवं देरी से प्राथमिक की दर्ज करने वाले पुलिस अफसर के खिलाफ और घटनास्थल की चौकीदार के खिलाफ पुलिस मैन के द्वारा कार्रवाई भी हाईकोर्ट के मॉनिटरिंग के तहत चलाई गई।

मुजफ्फरपुर के साहिबगंज थाने में दर्ज बलात्कार एवं जलाकर मार देने के हत्याकांड के सिलसिले में प्राथमिक की देरी से दर्ज होने पर हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसपी को फौरन कार्रवाई करने का भी आदेश दिया था। उसके तहत कोर्ट को यह बताया गया की संबंधित थाना अध्यक्ष और अनुसंधान पदाधिकारी पर अनुशासनात्मक करवाई चलाई गयी। दोषी अफसरों को दंड दिया गया, उनके वेतन वृद्धि पर रोक लगाते हुए उसमें कटौती की गई।