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महंगाई की मार से जनता बेहाल, कहीं फीका न पड़ जाए त्योहार

महंगाई की मार से जनता बेहाल, कहीं फीका न पड़ जाए त्योहार

लोकसभा 2024 के चुनाव में कुछ महीने बाकी है विपक्षी इंडिया महागठबंधन ने साकार रूप ले लिया है ऐसे में महंगाई की बढ़ती करने केंद्र सरकार को सांसत में डाल दिया है. तो वहीं दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) का निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए अधिक महंगाई एक बार फिर चिंता का विषय बन गई है. चीनी और गेहूं जैसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने और उन्हीं स्तरों पर स्थिर होने के बाद कच्चे तेल में भी उछाल आई है. इसने एफएमसीजी कंपनियों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है. इसके अलावा मॉनसून के चालू सीजन के दौरान अगस्त में सूखा रहने से ग्रामीण मांग पर असर पड़ा है लेकिन एफएमसीजी कंपनियां मॉनसूनी बारिश में सुधार और त्योहारी सीजन से पहले मांग बढ़ने के संबंध में सतर्कता बरतते हुए आशावान हैं .केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फिर कहा है कि महंगाई पर लगाम लगाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है, उन्होंने कहा कि यदि आर्थिक गतिविधियों को गतिशील बनाना है तो महंगाई को थामना जरूरी है .पिछले 3 महीने में थोक बाजार में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. खाद्य वस्तुओं की कीमत में होने वाली गिरावट की दर बहुत कमजोर है.  दाल के भाव आसमान छू रहे हैं. त्योहारों का मौसम भी शुरु होने वाला है ऐसे में महंगाई की मार से पर्व के फिका होने का डर भी व्यवसाइयों को सता रहा है.

वहीं आरबीआई का मानना है की और स्थिर अंतरराष्ट्रीय खाद्य और ऊर्जा कीमतें लंबे समय से जारी अंतर्राषट्रीय  राजनीतिक तनाव, मौसम की प्रतिकुलता के बीच महंगाई को नियंत्रित करना किसी चुनौती से कम नहीं है. मूल्य अनिश्चित के कारण भविष्य के लिए निवेश और बचत पर नकारात्मक प्रभाव दिखाई पड़ सकता है .बढ़ती महंगाई का प्रभाव वेतन भोगी कर्मचारी पेंशन भोगी कम आय वाले लोगों दैनिक आय अर्जित करने वाले पर अधिक होता है. वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से लोगों की क्रश क्षमता कम हो जाती है. जिससे आय असमानता भी बढ़ती है. वही डीएवी कॉलेज के अर्थशास्त्र के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ रामानंद पांडे ने बताया की महंगाई को केवल प्रकृति की मार कहकर नहीं छोड़ा जा सकता. महंगाई भारत के बढ़ते कदम के लिए हानिकारक हो सकती है. कुछ खाद्य पदार्थ विशेष रूप से सब्जियां अनाज डेरी उत्पादन जैसी आवश्यक वस्तुओं की मांग में अपेक्षाकृत कम परिवर्तन होने के कारण बाजार की शक्तियां अधिक लाभ उठाने के लिए कृत्रिम दबाव बनाना शुरू कर देती हैं. बाजार के संतुलन का लाभ लेने में सट्टे बाद हमेशा ही सफल रहते हैं. जिसके कारण कभी प्याज कभी टमाटर कभी चीनी तो कभी सोना चांदी की कीमत बढ़ने लगती है. महंगाई का बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है .यह खतरा साबित हो उससे पहले ही सरकारी उपाय करने होंगे. आने वाले समय में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं .2024 में आम चुनाव के कारण सरकार कीमतों को कम करने के लिए गंभीरता से प्रयास भी कर रही है. डॉक्टर पांडे ने बताया की मुद्रा स्थिति को नियंत्रित करने वाले उपायों को अधिक पारदर्शी और नीति निर्माता को अधिक जवाबदेह बनाना होगा. मुद्रा स्थिति पर विभिन्न देशों की सामूहिक कार्रवाई की रणनीति भी बनानी होगी. महंगाई विशेष रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों को बाढ़ने से रोका नहीं जा सकता लेकिन इसके लिए उचित प्रबंध कर उस पर पड़ने वाले प्रभाव को कम तो किया ही जा सकता है.

बहरहाल चुनावों के मौसम में कीमतों की बढ़ोत्तरी सत्ता पक्ष के लिए हानिकारक सिद्द हो सकती है वहीं विपक्ष आम आदमी का मुद्दा बना कर इसका लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है. महंगाई नियंत्रण के लिए ठोस उपाय करना सरकार की जवाबदेही तो है हीं.

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