Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर ने तोड़ी पाकिस्तान की कमर, शेयर बाजार धड़ाम, अर्थव्यवस्था तबाह, भारत की आर्थिक-सैन्य चोट से बौखलाया पड़ोसी

Operation Sindoor:पाकिस्तान के अर्थव्यवस्था की कमर टूटने वाली है। IMF बेलआउट पर संकट मंडरा रहा है तो सिंधु जल संधि निलंबन से कृषि चौपट होने के कागार पर है।

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ऑपरेशन सिंदूर ने तोड़ी पाकिस्तान की कमर- फोटो : meta

Operation Sindoor: भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चों पर घुटनों पर ला दिया है। कराची स्टॉक एक्सचेंज  में दो दिनों में 9 फीसदी की भारी गिरावट ने पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था की पोल खोल दी है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि के निलंबन, आयात-निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध, और IMF ऋण के विरोध की रणनीति ने पाकिस्तान को गहरे संकट में डाल दिया है। बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी  के हमलों और आंतरिक अस्थिरता ने स्थिति को और बदतर बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान ने सैन्य टकराव को और बढ़ाया, तो उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है। आइए, इस सनसनीखेज घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर, जिसके तहत भारत ने 7 मई, 2025 को पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, ने पाकिस्तानी शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया। कराची स्टॉक एक्सचेंज  इंडेक्स में 8 मई, 2025 को 7.2फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद ट्रेडिंग को एक घंटे के लिए रोकना पड़ा। इससे पहले, 7 मई को इंडेक्स 6 फीसदी  नीचे गिरा था, जिससे कुल मिलाकर 13 फीसदी की गिरावट अप्रैल 22 के पहलगाम हमले के बाद से दर्ज की गई।

कराची स्टॉक एक्सचेंज  इंडेक्स 7,300 अंक गिरकर 102,674 पर आ गया, जो 2008 के बाद सबसे बड़ी एकल-दिवसीय गिरावट थी। कराची स्टॉक एक्सचेंज 30 इंडेक्स भी 14 फीसदी नीचे आ गया।विदेशी निवेशकों ने बड़े पैमाने पर शेयर बेचे, जिससे बाजार में और अस्थिरता बढ़ी। FTSE रसेल द्वारा सितंबर 2024 में पाकिस्तान को फ्रंटियर मार्केट में डाउनग्रेड करने से निवेशक विश्वास पहले ही कमजोर हो चुका था।

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 मूडीज ने चेतावनी दी कि भारत के साथ लंबे समय तक तनाव पाकिस्तान की विकास दर, राजकोषीय स्थिरता, और विदेशी मुद्रा भंडार को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से संकट में है, और ऑपरेशन सिंदूर ने इसे और गहरा कर दिया है।  दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 131 अरब डॉलर को पार कर चुका है, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार केवल 10 अरब डॉलर है, जो तीन महीने के आयात को भी मुश्किल से कवर कर सकता है।

IMF बेलआउट: 2023 में पाकिस्तान ने 7 अरब डॉलर का IMF बेलआउट प्राप्त किया, और मार्च 2024 में 1.3 अरब डॉलर का जलवायु लचीलता ऋण मिला। लेकिन IMF की सख्त शर्तों, जैसे कर वृद्धि और सब्सिडी कटौती, ने जनता में असंतोष बढ़ाया है।IMF ने पाकिस्तान की 2024-25 की GDP वृद्धि दर को 3% से घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया, जबकि एशियाई विकास बैंक (ADB) ने इसे 2.5 फीसदी अनुमानित किया। यह पाकिस्तान सरकार के 3.6 फीसदी के लक्ष्य से काफी कम है।

भारत ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं, जो उसके वित्तीय ढांचे पर भारी पड़ रहे हैं। भारत ने तीसरे देशों के माध्यम से या डाक सेवाओं के जरिए पाकिस्तान से होने वाले सभी आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इससे 500 मिलियन डॉलर के सूखे मेवे और रसायन जैसे उत्पादों का व्यापार प्रभावित होगा। पाकिस्तान-रजिस्टर्ड जहाजों को भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश की अनुमति नहीं है, और भारतीय जहाज पाकिस्तानी बंदरगाहों में नहीं जाएंगे। यह पाकिस्तान के समुद्री व्यापार को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।

 भारत ने IMF से पाकिस्तान को मिलने वाले 1.3 अरब डॉलर के नए जलवायु लचीलता ऋण और 7 अरब डॉलर के मौजूदा बेलआउट की समीक्षा की मांग की है। 9 मई, 2025 को होने वाली IMF बोर्ड बैठक में भारत इस ऋण का विरोध कर सकता है, जिससे पाकिस्तान की अगली किस्त पर संकट मंडरा रहा है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान इन फंड्स का दुरुपयोग सैन्य-खुफिया तंत्र और आतंकी समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के लिए करता है।

भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान को चिनाब नदी से पानी की आपूर्ति में 21 फीसदी की कमी होने की आशंका है। यह पाकिस्तान की कृषि, जो 40 फीसदी आबादी को रोजगार देती है, और कराची, लाहौर, मुल्तान जैसे शहरों की पेयजल आपूर्ति को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।