DESK : कोरोना के कहर से गुजर रहे देश के राजनीतिक दल अब कोरोना के नाम पर सियासत का जुगाड़ फिट करने में लग गए हैं। कोरोना से बचाव को लेकर पीएम मोदी की जनता कर्फ्यू की अपील और लॉक डाउन सहित वित्तीय घोषणाओं का समर्थन करने वाले दल अब मुखर विरोध पर उतर आए हैं।
खासकर तब जब शुक्रवार को मोदी ने अपने वीडियो सन्देश के माध्यम से 5 अप्रैल को देश की जनता से कहा कि रात के 9 बजे 9 मिनट तक अपने घर मे ब्लैकआउट कर बालकनी में खड़े हो जाएं। उज़के पश्चात सारे लोग एक मोमबत्ती या दिया या फिर नहीं यो मोबाइल का फ्लैश ही 9 मिनट तक जलाते रहें। इसका प्रसारण होने के तत्काल बाद ही विरोधी नेताओं ने इसकी खाल निकालनी शुरू कर दी। लेकिन इस मौके पर शरद पवार की पार्टी एनसीपी बंट गयी।
पीएम के सन्देश पर बंट गयी पार्टी
शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने जहां पीएम मोदी के इस वीडियो सन्देश का विरोध किया तो वहीं वहीं एनसीपी सुप्रीमो के पोते रोहित पवार ने प्रधानमंत्री का जबरदस्त समर्थन किया है। शरद पवार के पोते रोहित ने ट्वीट करते हुए कहा है कि 'प्रधानमंत्री जी का लक्ष्य देश को रोशनी के माध्यम से एक साथ लाना है और अगर ऐसा है तो हमें इस विचार का स्वागत करना चाहिए.
देश के नागरिक के रूप में मैं आपसे आग्रह करता हूं कि हमारे देश के झंडे को अपने सोशल मीडिया डीपी के रूप में लगाएं और एकजुटता का संदेश दें.'वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के आवास मंत्री एवं राकांपा नेता जितेंद्र अवहाड ने पीएम के अपील का विरोध करते हुए कहा है कि वह अपने घर की लाइट नहीं बंद करेंगे क्योंकि वह 'मूर्ख नहीं' हैं.
इसी तरह एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि लोगों को यह अनुमान था कि पीएम मोदी कोरोना से लड़ने हेतु उठाये गए कदमों के बारे में बात करेंगे लेकिन वे दिया जलाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी के सन्देश ने देश को निराश किया है।