पटना : बिहार में लगातार कोरोना कोहराम मच रहा है. लेकिन राजधानी पटना में कोरोना की जो मार पड़ रही है उससे सभी हलकान हैं. पटना में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफ हो रहा है. यू कहें कि पटना में हर तरफ कोरोना फैल गया है. उसके बावजूद भी पटना के सबसे बड़े अस्पताल का कारनामा देख कर तो यही लग रहा है कि यहां का सिस्टम पटना को कब्र बनाने में जुटा है.
कैंपस में फेंके जा रहे हैं पीपीई कीट
पीएमसीएच खुद कोरोना का गढ़ बना हुआ है. यहां से लगातार स्वास्थकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद भी यहां के सिस्टम को देखकर यह नहीं लगता है कि कोरोना पर कंंट्रोल के लिए यहां कोई सजग है. पीएमसीएच के कैंपस में ही इस्तेमाल किए गए पीपीई किट फेंके जा रहे हैं. जबकि साफ तौर पर यह निर्देश है कि इस्तेमाल किए गए पीपीई किट को जमीन के अंदर गाड़ना या फिर जलाना है. उसके बावजूद भी पीएमसीएच परिसर में पीपीई किट के ऐसे ही फेंक दिया जा रहा है.
आपको बता दें कि पटना में कोरोना से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. महज 6 दिन के अंदर अस्पताल में 16 संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है. हालात यह है कि सोमवार को भी लगातार छठे दिन भी दो मरीजों की मौत हो गई है.अबतक एनएमसीएच में कोरोना से कुल 48 लोगों की मौत हो चुकी है.
बिहार में एक डॉक्टर की कोविड-19 संक्रमण से मौत हो गई. राज्य में कोरोना संक्रमण से किसी डाक्टर की मौत का यह पहला मामला है. एम्स, पटना के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 54 वर्षीय डॉ अश्वनी नंदकुलियार की मौत हो गयी. वे गया में जेनरल फिजिशियन थे और निजी क्लीनिक चलाते थे. इसके साथ ही सोमवार को 9 संक्रमित मरीजों की मौत हो गयी. इसके साथ ही ही प्रदेश में अब तक कुल 134 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है.