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POISONOUS LIQUOR CASE: नीतीश जी, जहरीली शराब से ही हुई है मौत, देख लीजिए सबूत, आखिर प्रशासन इतना गंदा खेल क्यों खेल रहा है ?

POISONOUS LIQUOR CASE: नीतीश जी, जहरीली शराब से ही हुई है मौत, देख लीजिए सबूत, आखिर प्रशासन इतना गंदा खेल क्यों खेल रहा है ?

NAWADA: नवादा में 12 लोगों की जहरीली शराब पीने से हुई मौत पर नवादा प्रशासन अपनी चूक मानने के बजाय अपना चेहरा चमकाने में ज्यादा लगा हुआ है. लेकिन जहरीली शराब से हुई मौत के बाद प्रशासन के चेहरे पर पुति कालिख का पक्का सबूत news4nation के हाथ लगा है. पत्रकारों के द्वारा बार बार पूछे जाने पर सारे आला अधिकारी शराब पीने से हुई मौत को सिरे से नकार रहे हैं. उन्हें भय है कि शराबबंदी मामले में जिला प्रशासन का निकम्मापन सामने आ जायेगा. लेकिन लाख छुपाने के बाद भी सच्चाई छुप नहीं पाती.

News4Nation के संवाददाता के हाथ नवादा में जहरीली शराब से हुई मौत का पक्का सबूत हाथ लग चुका है. लेकिन शर्मनाक यह है कि सुशासन के कारिंदे करीने से जहरीली शराब से हुई मौत पर एक अलग किस्म से मोर्चाबंदी करने में जुटे हैं. सरकारी अस्पताल का पुर्जा और मृतकों के परिवार की जुबान चीख-चीख कर गवाही दे रही है कि अवैध शराब के कारोबार ने नवादा में 12 परिवारों की जिंदगी तार-तार कर दी है. अब जरा देखिए हम आपको पूरे घटनाक्रम के बारे में एक-एक कर बताते हैं. साथ में सबूत भी दिखा रहे हैं और उसकी जानकारी भी दे रहे हैं.

दरअसल गुरूवार की सुबह सदर अस्पताल में 6 पीड़ित इलाजरत थे और उन्हीं में से एक बुधौल गांव के किशोरी साव के बेटे धर्मेंद्र कुमार ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. जिसके बाद सामने आया सदर अस्पताल की तरफ से जारी किया गया पुर्जा, जिसमें साफ तौर पर शराब से मौत की बात लिखी हुई है. अस्पताल द्वारा जारी पुर्जे पर धर्मेंद्र कुमार का नाम भी लिखा दिखाई दे रहा है. वहां 30 मार्च की तिथि भी लिखी है जिससे जाहिर है कि उसी दिन उन्हें भर्ती कराया गया था. इसके अलावा एक और पुर्जा भी मिला है जिसमें महेश रविदास का नाम लिखा दिखाई दे रहा है. इस पुर्जे में भी पिछली पुर्जे की तरह शराब के सेवन का जिक्र किया गया है, साथ ही 30 मार्च 2021 की तिथि अंकित है. आपको बता दें कि इस जहरीली शराब कांड में सफाई कर्मी महेश रविदास और विपिन कुमार की आंखों की रौशनी चली गई है. साथ ही कई अन्य लोग अब भी इलाजरत है. 

एक तरफ जहरीली शराब से हुई मौत पर पीड़ित परिवार में मातम का दौर जारी है तो दूसरी तरफ सबूत पर सबूत होने के बावजूद प्रशासन के द्वारा शराब से होने वाली मौत पर पर्दा डालने का खेल भी जारी है. संवेदनहीनता की हद को पार करने का हर खेल यह सिर्फ इसलिए खेलना चाहते हैं ताकि येन-केन-प्रकारेण सुशासन का साफा गंदा ना हो. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस तरीके से कड़वे सच को पीकर सुशासन की सेहत कितनी सही रह पाएगी. अब सबकुछ सामने आ चुका है, अब कम-से-कम प्रशासन को अपने जमीर से पूछना चाहिए और सवालों का सही जवाब देना चाहिए. ख्याल रहे, आज ना कल, तो देना ही होगा. 


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