PATNA : तेजस्वी यादव के वोट नहीं डालने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दोनों ओर से इस मामले को लेकर हमला जारी है। इसी कड़ी में जेडीयू की ओर एकबार फिर हमला बोला गया है।
जेडीयू ने इसबार नैतिकता का हवाला देते हुए तेजस्वी से नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिए जाने की मांग कर दी है।
जेडीयू विधान पार्षद व प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी से नैतिकता के आधार पर नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने की मांग की है।
नीरज ने कहा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के अनुसार प्रत्येक व्यस्क नागरिक को जो पागल और अपराधी न हो, मताधिकार प्राप्त है। किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंगभेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
ऐसी स्थिति में जब विपक्ष के नेता पागल अथवा दोष सिद्ध अपराधी न हैं तो आपने मताधिकार का इस्तेमाल क्यों नहीं किया साथ ही साथ लोकतंत्र के लिए मताधिकार का इस्तेमाल न करना राजनैतिक कलंक है। ऐसे में बिहार विधानसभा के विपक्ष के नेता और राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव जी का लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देना कई प्रश्न खड़ा करता है।
उन्होंने कहा है कि तेजस्वी जी, अपने पिता लालू प्रसाद जी को जेल से निकालने के लिए चुनाव प्रचार में वोट मांगते घूमते रहे। परंतु खुद नहीं वोट दिए। क्या अब वे खुद नहीं चाहते कि उनके पिता जी जेल से बाहर आए? आखिर लालू जी अगर जेल से निकल जाते तो फिर वे खुद पार्टी चलाने लगते, फिर तेजस्वी को पूछेगा कौन?
तेजस्वी यादव जी शायद देश में ऐसे किसी सदन के विपक्ष के नेता होंगे जो लोगों से मतदान की अपील तो करते हैं परंतु वे खुद मतदान नहीं करते। यह ना केवल लोकतंत्र का बल्कि बिहार का भी अपमान है। तेजस्वी जी लोकतंत्र और बिहार के इस अपमान के लिए आपको नैतिक रूप से विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद जी भी चारा घोटाले के मामले में रांची की जेल में सजा काट रहे हैं। लालू प्रसाद भी लोकतंत्र और संविधान बचाने की बात करते हैं। अपने जमानत के लिए लालू जी सर्वोच्च न्यायालय पहुंच जाते हैं कि परंतु अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उन्होंने अदालत से आदेश नहीं मांगी। क्या एक राजनीतिक पार्टी अध्यक्ष के लिए यह उचित है? लालू जी आप क्या ऐसे ही लोकतंत्र बचाने की बात करते हैं?
कुंदन की रिपोर्ट