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प्रशासन ने पहले खुद की गलती, अब नोटिस भेजकर 2210 आयकर दाता किसानों को दिया निर्देश - दस दिन में लौटाओ 2 करोड़ की राशि

प्रशासन ने पहले खुद की गलती, अब नोटिस भेजकर 2210 आयकर दाता किसानों को दिया निर्देश - दस दिन में लौटाओ 2 करोड़ की राशि

मोतिहारी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत मोतिहारी जिला के 2210 आयकर दाता किसानों को दो करोड़ राशि लौटने को लेकर नोटिस कृषि विभाग ने भेजा है ।नोटिस मिलने के दस दिन के अंदर राशि नही लौटने पर प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही जा रही है ।आयकर दाता किसानों को अबतक की उठाई गई राशि को लौटना होगा ।जिला के सभी प्रखंडवार सूची बनाकर उठाये गए राशि उठाने के लिए भेजा जा रहा नोटिस।किसानों के द्वारा जमा कराए गए आधार ,पैन लिंक से खुलासा के बाद करवाई शुरू हुई है। 

कृषि विभाग के अनुसार आयकर दाता को पीएम किसान योजना का लाभ नही लेना है ।जिला में पीएम किसान सम्मान योजना का लाभ लेने वाले कि कुल संख्या 4 लाख 77 हज़ार है । कागजात जांच में  2210 किसानों आयकर दाता होने को लेकर चिन्हित किया गया है। चिन्हित आयकरदाता किसान अबतक 1 करोड़ 96 लाख 32 हज़ार रुपया अबतक उठा चुके है। उक्त सभी किसान लगभग चार से 6 क़िस्त का लाभ उठाए है। उक्त सभी किसानों को विभाग ने राशि लौटने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है। वहीं दस दिनों में राशि नही लौटने पर प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही जा रही है।

जिला के आयकर दाता किसानों की सूची में सर्वाधिक अरेराज, संग्रामपुर,कल्याणपुर ,तुरकौलिया,सुगौली,आदापुर सहित प्रखंड के लोग शामिल है ।विभागीय सूत्रों के अनुसार अब पीएम किसान योजना का लाभ लेने के लिए आवेदनकर्ता के नाम पर जमीन होना अनिवार्य है ।अब अंचल से एलपीसी बनवाने की कोई जरूरत नही है। पूर्व में एक ही भूखंड पर एलपीसी बनाकर कई लोग इस योजना का लाभ लेते थे। जांच के बाद ऐसे लोगों को भी चिन्हित कर कार्रवाई करने की चर्चा है।

पहले क्यो नहीं दिया ध्यान

सम्मान योजना में किसानो से ज्यादा बड़ी गलती कृषि विभाग की नजर आती है। यह निश्चित है कि योजना की राशि जारी होने से पहले इसके गाइडलाइन यह जरुर लिखा होगा कि किन किसानों को योजना का लाभ मिलना है और किन किसानों को नहीं। कृषि विभाग को उन आयकरदाता किसानों की सूची भी होगी, या अगर सूची नहीं भी होगी तो विभाग के अधिकारियों ने इसकी जरुरत नहीं समझी और आंख मूंदकर सम्मान योजना में राशि का बंदरबांट कर दिया। ऐसे में योजना का लाभ लेनेवाले किसान दोषी हैं, तो उतने ही बड़े दोषी विभाग के अधिकारी भी हैं।

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