डेस्क...खबर पंजाब से आ रही है जहां पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एक नर्सिंग ऑफिसर को मातृत्व अवकाश न मिलने के खिलाफ दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि किसी भी महिला को सिर्फ दो बच्चों के लिए ही मातृत्व अवकाश यानी मैटरनिटी लीव मिल सकती है. कोर्ट ने कहा है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि पहले दो बच्चे महिला के अपने हैं या नहीं. दरअसल, महिला पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (PGIMER) चंडीगढ़ में कार्यरत है. महिला ने एक ऐसे शख्स से शादी की जिसने पहले से ही दो बच्चे थे और वो इंसान गुटका भी बहुत खाता है अब महिला ने अपने बच्चे को जन्म दिया लेकिन उसे मैटरनिटी लीव नहीं मिली. इसको लेकर महिला ने PGIMER के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी.
इस पर हाई कोर्ट में जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस संत प्रकाश की पीठ ने यह आदेश सुनाया. PGIMER ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि महिला ने अस्पताल के रिकॉर्ड में अपने पति की पहली शादी से हुए दो बच्चों का नाम दर्ज करवाया हुआ है और वह कई बार चाइल्ड केअर लीव भी ले चुकी है. अस्पताल ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज (लीव) रूल, 1972 का हवाला देते हुए कोर्ट में कहा कि चूंकि महिला के पहले ही दो बच्चे हैं इसलिए वह मातृत्व अवकाश नहीं ले सकती है.
वहीं महिला का कहना था कि उसने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया है, इसलिए पति के दोनों बच्चों का हवाला देकर अस्पताल उसे मातृत्व अवकाश से वंचित नहीं कर सकता है. नर्सिंग ऑफिसर की याचिका खारिज करते हुए बेंच ने कहा, 'भले ही याचिकाकर्ता अपने पति की पहली शादी से जन्में दो बच्चों की बायलॉजिकल मां नहीं है लेकिन वह इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकती कि अब वही उन बच्चों की मां है. महिला को पहले बहुत मौका दिया जा चूका है अब महिला को कोई मौका नहीं मिलेगा. कोर्ट सच जानने के बाद महिला के प्रस्ताव को हमेशा के लिये खारिज कर दिया है.