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नीतीश को राहुल की...ना, आरजेडी ही कांग्रेस का सच्चा साथी

नीतीश को राहुल की...ना, आरजेडी ही कांग्रेस का सच्चा साथी

DELHI : मुजफ्फरपुर कांड को लेकर तेजस्वी यादव जब कल जंतर मंतर पर धरना देंगे तो उसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी नए सियासी परिभाषाओं को गढ़ेगी। यह पहला मौका होगा जब राहुल गांधी खुले तौर पर नीतीश कुमार के विरोध में खड़े दिखेंगे । तेजस्वी के साथ राहुल की मौजूदगी इस बात का स्पष्ट संदेश देगी कि नीतीश कुमार के लिए कांग्रेस ने गढ़बंधन में वापसी के सभी दरवाजे बंद कर दिए हैं। इसके पूर्व बिहार कांग्रेस में ऐसे नेताओं की लम्बी लिस्ट रही है जो यह कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार वापस कांग्रेस के साथ गठबंधन में आ सकते हैं। 

कांग्रेस के आधिकारिक सूत्रों ने दिया संकेत

नीतीश कुमार के खिलाफ कल दिल्ली में होने वाली विपक्षी गोलबंदी के पहले कांग्रेस के आधिकारिक सूत्रों ने इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि नीतीश कुमार के लिए विपक्षी एकजुटता वाले खेमे में कोई जगह नहीं बची है। कांग्रेस का स्पष्ट मानना है नीतीश कुमार बीजेपी के पैरोकार बन चुके हैं ऐसे में उन्हें साथ लेने का कोई मतलब नहीं बनता। कांग्रेस की राय में आरजेडी के साथ गठबंधन पर उसे अटूट भरोसा है, कारण आरजेडी के साथ उसका पारंपरिक गठबंधन रहा है। 

2019 के लिए नए प्रयोग की तैयारी

अगर बात बिहार से बाहर की करें तो कांग्रेस 2019 के चुनाव के लिए नए प्रयोग करने के मूड में है। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा को साथ लेकर महागठबंधन बनाना राहुल की पहली प्राथमिकताओं में शामिल है। लेकिन अंतिम फैसले से पहले वह उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं से भी मशविरा लेंगे।  राहुल गांधी का अमेठी से चुनाव लड़ना कंफर्म है जबकि सोनिया गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है। प्रियंका के चुनाव लड़ने पर फैसला अभी गांधी परिवार के अंदर चर्चा होना बाकी है। इसके अलावा कांग्रेस दिल्ली में केजरीवाल का साथ लेने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। जाहिर है 2019 के नजरिए से यह शुरुआती मंथन वाली स्थिति है लेकिन कोई भी फैसला होने में अभी वक्त लगना है।

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