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राजभवन के लैटर का एसवीयू पर नहीं पड़ा असर, मगध विवि के कुलपति के खिलाफ जांच में आई तेजी

राजभवन के लैटर का एसवीयू पर नहीं पड़ा असर, मगध विवि के कुलपति के खिलाफ जांच में आई तेजी

PATNA : मगध विवि के कुलपति पर लगे घोटाले के आरोपों के मामले में अब राजभवन और एसवीयू के बीच विवाद बढ़ने की स्थिति आ गई है। कुछ दिन पहले राजभवन की तरफ से एक लैटर जारी कर मगध विवि के वीसी राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ किसी प्रकार की जांच से पहले अनुमति लेने के निर्देश दिए थे। लेकिन, अब स्पेशल विजिलेंस यूनिट(एसवीयू) ने इस लैटर को कितनी गंभीरता से लिया है, यह इससे समझा जा सकता है कि अब आरोपित कुलपति के खिलाफ जांच और तेज कर दिया गया है। जबकि लैटर जारी होने के बाद यह माना जा रहा था कि कुलपति के खिलाफ हो रही जांच तकनीकी पेचीदगी में उलझ सकती है या यह रूक भी सकती है।

एसवीयू के सूत्रों ने बताया कि एसवीयू ने कुलपति के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और फर्जीवाड़ा के मामले में कार्रवाई की है। इसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (यथा संशोधित 2018) के सेक्शन 17 ए के तहत पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं है। इसी आधार पर कार्रवाई को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। साफ है कि एसवीयू की इस कार्रवाई से राजभवन के साथ झगड़ा बढ़ सकता है।

शिक्षा मंत्री पहले ही जता चुके हैं नाराजगी

जिस तरह से बिहार में मगध विवि के कुलपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे। उसके बाद बिहार के शिक्षा मंत्री ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि इतना सब होने के बाद भी राजभवन ने मगध विवि के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई  क्यों नहीं की है. यहां तक कि इसके कारण एक कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री राज्यपाल के साथ मंच पर जाने से भी मना कर दिया था। सरकार के विधायकों की तरफ से सीधे सीधे राजभवन पर मगध विवि के कुलपति को बचाने के आरोप लगे थे।

30 करोड़ सरकारी राशि के दुरुपयोग में हो रही जांच

करीब 30 करोड़ रुपए के सरकारी राशि के दुरुपयोग के आरोप के बाद एसवीयू ने कुलपति डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद सहित अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की हुयी है। भ्रष्टाचार का यह पूरा मामला विवि में उत्तरपुस्तिका व किताबों की खरीद में भ्रष्टाचार से जुड़ा है।

इसके अलावा विवि में प्राइवेट सिक्यूरिटी गार्ड के भुगतान में अनियमितता का भी आरोप है। इस मामले में एसवीयू रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर, लाइब्रेरी इंजार्ज व हिन्दी डिपार्टमेंट के हेड और वीसी के पीए व असिस्टेंट को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में एसवीयू इस मामले में और बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

ये था राजभवन का पत्र

एसवीयू की कार्रवाई को लेकर राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल.चोंग्थू ने 25 जनवरी को मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। पत्र में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के सेक्शन 17 ए में उल्लखित प्रावधानों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित कराने की बात लिखी गई थी। पत्र में कहा गया था कि एसवीयू के द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई से पूर्व सक्षम प्राधिकार की पुर्वानुमति आवश्यक है। सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति के बिना किसी प्रकार की कार्रवाई किया जाना अधिनियम के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंन है जो कि सर्वथा अनुचित है।

तीन माह पहले हुए कार्रवाई में अब तक क्या हुआ

एसवीयू ने मगध विवि के कुलपति, उनके पीए-सह-असिस्टेंट, एमएस पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट प्रिंटर्स, मेसर्स एक्सएलआईसीटी सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ, वीर कुंवर सिंह विवि के वित्तीय पदाधिकारी ओम प्रकाश और पाटलिपुत्र विवि के रजिस्ट्रार के खिलाफ 16 नंवबर 2021 को मुकदमा दर्ज किया। 17 नवंबर को कुलपति के गया और गोरखपुर स्थित ठिकानों पर एसवीयू ने छापेमारी की। 20 नवंबर 2021 को इस मामले में कई अफसरों की गिरफ्तारी हुई। 20 जनवरी को कुलपति एसवीयू के सामने पेश हुए।

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