DESK : अयोध्या में बन रहे राम मंदिर रामलला के विराजमान होने की तारीख नजदीक आ रही है। ऐसे में मंदिर को लेकर हर दिन नई नई खबरें भी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि मंदिर में रामलला के सामने रखने के लिए 151 किलो का रामचरितमानस तैयार किया जा रहा है। 10,902 पदों वाले इस विशेष पुस्तक की खासियत यह है कि इसके हर पन्ने को तांबे से तैयार किया जा रहा है। साथ ही उस पर 24 कैरेट गोल्ड में डूबोया जाएगा। इसमें 140 किलो तांबा और पांच से सात किलो सोना लगेगा। सजावट के लिए अन्य धातुओं का इस्तेमाल होगा। जिस पर करीब पांच करोड़ की राशि खर्च की जाएगी।
रिटायर्ड आईएएस ने दिया दान
दरअसल, इस रामचरितमानस को एक पूर्व आईएएस एस. लक्ष्मी नारायणन द्वारा तैयार कराया जा रहा है। केंद्र में गृह सचिव के पद से रिटायर हुए नारायणन ने अपनी जीवन की सारी पूंजी राम मंदिर के लिए दान कर दी है। इसी पूंजी से वह रामचरित मानस का निर्माण करा रहे हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वह मूर्ति के सामने पांच करोड़ से तैयार 151 किलो की रामचरितमानस स्थापित करवाएंगे। बीते दिनों पत्नी के साथ अयोध्या आए नारायणन ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से इसकी अनुमति हासिल की।
ईश्वर ने जो दिया उसे वापस कर रहा हूं
एस. लक्ष्मी नारायणन बताते हैं कि ईश्वर ने मुझे जीवनपर्यंत बहुत कुछ दिया। प्रमुख पदों पर रहा। मेरा जीवन अच्छा चला। रिटायरमेंट के बाद भी खूब पैसा मिल रहा है। दाल-रोटी खाने वाला इन्सान हूं। पेंशन ही खर्च नहीं होती। ईश्वर का दिया हुआ उन्हें वापस कर रहा हूं। दान के नाम पर धन की लूट-खसोट से बेहतर है कि प्रभु के चरणों में उनकी पुस्तक अर्पित कर दूं।
सेंगोल बनाने वाली कंपनी ही बनाएगी स्वर्ण जड़ित रामचरित मानस
सेवानिवृत्त केंद्रीय गृह सचिव एस. लक्ष्मीनारायणन ने रामचरित मानस पुस्तक की जिस तरह की परिकल्पना की है, उसे देश की जानी मानी कंपनी वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स तैयार करेगी। इसी ज्वैलरी कंपनी ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल (राजदंड) को तैयार किया है। कंपनी ने स्वर्ण जड़ित रामचरित मानस का डिजाइन तैयार कर कर दिया है। इसे बनाने में तीन महीने लगेंगे।