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रेरा का डंडा! बिहटा में टाउनशीप बसाने का बड़ा खेलः बिना निबंधन के ही 'स्वांसग्रीन इस्टेट' ने शुरू कर दिया था 2 प्रोजेक्ट

रेरा का डंडा! बिहटा में टाउनशीप बसाने का बड़ा खेलः बिना निबंधन के ही 'स्वांसग्रीन इस्टेट' ने शुरू कर दिया था 2 प्रोजेक्ट

PATNA:राजधानी पटना और आसपास के इलाकों में बड़े स्तर टाउनशिप बसाने को लेकर बिल्डर सक्रिय हैं। एक नहीं अनेकों ऐसे बिल्डर-प्रोमोटर हैं जो पटना से नजदीक वाले इलाकों में टाउनशिप बसाने का वैध-अवैध धंधा कर रहे।कई ऐसे बिल्डर हैं जो नियम-कानून को ताक पर रखकर काम कर रहे। रेरा ने कई ऐसे बिल्डर-डेवलपर पर कार्रवाई भी किया है। राजधानी के बिहटा में टाउनशिप बसाने में एक ऐसी ही स्वांसग्रीन इस्सेट नाम की कंपनी बिना रेरा की मंजूरी के दो प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया था। इसके बाद ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कंपनी के निदेशकों पर कार्रवाई की थी।

कंपनी के डायरेक्टर की तरफ से रेरा से कहा गया कि बैंक अकाउंट को अनफ्रीज किया जाए। रेरा की तरफ से 4 फऱवरी को अंतिम सुनवाई की गई इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया। 4 फरवरी को रेरा कोर्ट में स्वंस ग्रीन इंपायर और स्वंस इको विलेज फेज-1 के इश्यू पर सुनवाई हुई। रेरा के वकील ने कोर्ट से कहा कि कंपनी के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित किया गया था.कंपनी के निदेशक निशु कमल और पूर्व निदेशक रोशन वर्मा के खिलाफ. प्रतिवादी कंपनी रेरा अधिनियम, 2016 की धारा 3 का उल्लंघन कर रही थी. लिहाजा स्वत: संज्ञान लिया गया था। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी में तीन निदेशक थे .जिनमें से दो निदेशक सुमित सिन्हा और रोशन वर्मा ने इस्तीफा दे दिया। कहा गया कि 11-0-2018 को रेरा पंजीकरण के लिए आवेदन किया.आंतरिक विवाद के कारण, रोशन वर्मा ने 10-07-19 को इस्तीफा दे दिया. औपचारिकता पूरा करने के बाद उनका नाम आरओसी से हटा दिया गया है।

प्रतिवादी कंपनी ने बिना RERA पंजीकरण के   विज्ञापन देना शुरू कर दिया,जिसके बाद Suo Moto नोटिस जारी किया गया और सबसे पहले 18 अक्टूवर 2019 को रेरा में सुनवाई हुई।रेरा के वकील ने कहा कि एक अंतरिम आदेश पारित किया गया था और प्रतिवादी कंपनी और उसके निदेशकों के बैंक खाते जिनमें रोशन वर्मा जमे हुए थे उसे फ्रीज किया गया था। 6 अक्टूवर 2020 को रोशन द्वारा एक आवेदन दायर किया गया था,जिसमें बेंच को सूचित किया कि उन्होंने कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। इधर, सुमित सिन्हा के वकील ने अपने बैंक खातों को अनफ्रीज करने के अपने अनुरोध को दोहराया। कहा कि वह कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार उत्तरदायी नहीं है, जब अधिनियम प्रतिबद्ध था जब वह कंपनी के निदेशक नहीं थे।


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