NEWS4NATION DESK : 55 हजार गौवंश की सेवा कर रहे और ब्रज के पर्वतों को खनन माफियाओं से बड़े संघर्ष के बाद बचाने वाले पर्यावरण पुरोधा व विरक्त संत रमेश बाबा को पद्मश्री दिए जाने की घोषणा हुई है। उनके पद्मश्री मिलने की घोषणा से व्रजवाशियों में तो खुशी की लहर है, लेकिन बाबा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा है। पद्मश्री मिलने की बात पर उन्होंने कहा है कि ''पद्मश्री से हमें कोई लाभ नहीं, हमारे किसी काम का नहीं है ये, हां इससे लोगों मे जनजागृति आ सकती है।''
सरकार से नहीं करते है कोई उम्मीद
रमेश बाबा ने कहा कि वह सरकार से कोई उम्मीद नहीं करते, क्योंकि दो बार सरकार से यमुनाजी की स्वच्छता की इच्छा जाहिर की, लेकिन निराशा ही मिली, इसलिए हम बस प्रभु पर विश्वास करते हैं कि वो ही सब कार्यों को करेंगे। वहीं गौसेवा को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हम कुछ सेवा नहीं कर सकते, हमारी कोई सामर्थ्य ही नहीं है, सब काम भगवान की कृपा से होता है, वो ही कर रहे है।
55 हजार गौवंश की सेवा करते हैं रमेश बाबा
बता दें कि रमेश बाबा 55 हजार गौवंश की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने ब्रज के पर्वतों को खनन माफियाओं से बड़े संघर्ष के बाद बचाया, भगवान की लीलाओं से जुड़े ब्रज में स्थित वन, कुंड, सरोवरों के अस्तित्व को बचाने के दिये बहुत कार्य किया। इन सब उपलब्धियों को देखते हुए सरकार ने पद्मश्री के लिये रमेश बाबा का चयन किया।