हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. भगवती शरण मिश्र की जयंती पर हुआ साहित्य सम्मेलन समारोह, केंद्रीय मंत्री सहित कई हस्तियों ने दी विनम्र श्रद्धांजलि

पटना. हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार और प्रशासनिक अधिकारी रहे डॉ. भगवती शरण मिश्र की जयंती पर कार्यक्रम आयोजन किया गया। इसका आयोजन उनकी बेटी उषा मिश्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया। इसमें प्रसिद्ध साहित्यकार और केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार चौबे भी शामिल हुए। 'पीतांबरा', 'पवनपुत्र', 'अग्नि-पुरुष', 'पुरुषोत्तम', 'मैं राम बोल रहा हूँ', 'देख कबीरा रोया', 'अरण्या', 'लक्ष्मण रेखा' 'पद्म नेत्र' जैसे दर्जनों प्रसिद्ध उपन्यास डॉ. मिश्र ने लिखा।
उषा मिश्र डॉ. भगवती शरण मिश्र की बेटी हैं व संयुक्त राष्ट्र संघ में वरीय सलाहकार के पद पर कार्यरत है। उषा मिश्र ने कहा कि देश में साहित्य के क्षेत्र में डॉ. भगवती शरण मिश्र ने अद्भुत योगदान दिया है। उन्होंने उच्च प्रशासनिक सेवा में जाने के वावजूद साहित्य की अलख अपने मन में जगाए रखा, व्यस्तता के कारण साहित्य में समय नहीं दे पाने के कारण उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृति ली और पुनः साहित्यिक जीवन एक कवि के रूप आरम्भ किया। उसके बाद 1960 में उनकी प्रथम पुस्तक आधुनिक अर्थ शास्त्र प्रकाशित हुई, जिसे स्नातक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तक में शामिल की गई। 1961 में भारतीय अर्थ शास्त्र 1962 में प्रारंभिक अर्थ शास्त्र,1963 में माध्यमिक अर्थ शास्त्र प्रकाशित हुई, ये किताबें देश में पढ़ रहे अर्थ शास्त्र के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी रही। उषा मिश्रा अपने पिता डॉ. भगवती शरण मिश्र को याद करते हुए आगे कहती हैं अनेकों कीर्तियों के अलावे उन्होंने देश-विदेशों के कई साहित्य सम्मेलनों में हिस्सा लिया। सैकड़ों सम्मान पाए, लेकिन हमें खेद है कि न ही बिहार सरकार और न ही भारत सरकार ने उन्हें किसी सम्मान के लिए याद किया।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह एवं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि उन्हें डॉ. मिश्र से तब से आत्मीय संबंध बना, जब वे नवसृजित ज़िला शिवहर के प्रथम ज़िलाधिकारी बन कर आए थे। उनके साथ लेखन करने का एक सुखद अनुभव आज भी स्मरण रहता है। उनके साहित्य को पढ़कर ही उनके विराट साहित्यिक व्यक्तित्व को समझा जा सकता है। डॉ. सुलभ ने घोषणा की कि अगले वर्ष से, प्रत्येक वर्ष बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से देश के एक मनीषी साहित्यकार को 'डॉ. भगवती शरण मिश्र स्मृति-सम्मान' तथा एक विदुषी को, उनकी पुण्यवती पत्नी कौशल्या मिश्र की स्मृति में एक-एक लाख रुपए के पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
समारोह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय खाद्यआपूर्ति राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि डॉ. भगवती शरण मिश्र का साहित्य ही नहीं उनका व्यक्तित्व भी प्रेरणादायक है। उनके जीवन-आदर्श और आचरण में उतारने योग्य है। भले ही आज वो हमारे बीच नहीं हों, किंतु उनकी अविनाशी आत्मा सदैव हमारा मार्ग दर्शन करती रहेगी। केंद्रीय मंत्री चौबे ने आश्वस्त किया कि वे डॉ. मिश्र के लिए पद्म-सम्मान के लिए प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह करेंगे।
वहीं महावीर मंदिर न्यास के सचिव और पूर्व पुलिस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि भगवती बाबू हिन्दी के बहुत बड़े लेखक थे, लेकिन उन्हें वह स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। 'पवन पुत्र' नामक उनकी कृति भगवान हनुमान के ऊपर लिखी गई हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ रचना है। एक व्यस्त अधिकारी होकर भी उन्होंने जो विपुल साहित्य की रचना की, वह एक बड़ा तपस्वी ही कर सकता है।
इस दौरान पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार, पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, कल्याणी कुसुम सिंह, वरीय अधिवक्ता रवींद्र कुमार चौबे, वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र, भगवती बाबू के पुत्र डॉ. जनार्दन मिश्र, पुत्रियां अधिवक़्ता छाया मिश्र, पत्रकार आशा उपाध्याय और संयुक्त राष्ट्र संघ में वरीय सलाहकार उषा मिश्र ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।
इस अवसर पर एक कवि सम्मेलन भी संपन्न हुआ, जिसमें वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम प्रकाश पाण्डेय 'प्रकाश', रामनाथ राजेश, डॉ. सुमेधा पाठक, डॉ. उमा शंकर सिंह, जय प्रकाश पुजारी, अशोक कुमार, शुभचंद्र सिन्हा, पं. गणेश झा, डॉ. आर प्रवेश, मीना कुमारी परिहार, डॉ. बबीता ठाकुर, डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी, प्रदीप पाण्डेय, अर्जुन प्रसाद सिंह, रमेश पाठक, मुकेश कुमार ओझा, मंजु भारती, उपेन्द्र नारायण पाण्डेय, संजय कुमार अम्बष्ट आदि कवियों ने अपनी गीति-रचनाओं से डॉ. मिश्र को काव्यांजलि अर्पित की।