वैशाली लोकसभा सीट पर संजय सिंह का जोर, करेंगे बड़ा उलटफेर ! सधता दिखा रहा समीकरण, चिराग ने चुनाव के लिए बनाई खास रणनीति

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पटना. गणतंत्र की जननी वैशाली लोकसभा चुनावों में बड़े सियासी फेरबदल का गवाह बनते रही है. बिहार के वैशाली लोकसभा सीट पर संसदीय चुनाव के लिए सियासी लड़ाई की बिसात अभी से बिछनी शुरू हो गई है. वैशाली के संसदीय समर में इस बार जिन नेताओं की किस्मत दांव पर लग सकती है उसमें लोजपा के दोनों धड़ों की यहां नजर है. रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) जहाँ इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अभी से जोर आजमाइश में लगी है, वहीं पशुपति पारस गुट वाली लोजपा से वीणा देवी यहां की मौजूदा सांसद हैं. ऐसे में चिराग पासवान ने वैशाली में अपनी सियासी ताकत दिखाने के लिए अभी से अपने खास नेता को यहां सक्रिय कर दिया है. 

लोजपा (रामविलास) के प्रचार प्रसार प्रमुख एवं मुज्जफरपुर जिला प्रभारी संजय कुमार सिंह को लेकर माना जा रहा है कि वे वैशाली से पार्टी उम्मीदवार होंगे. इसे लेकर अभी से संजय बड़ी तैयारी में दिख रहे हैं. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही संजय सिंह यहां चिराग पासवान की पार्टी के लिए बड़े स्तर पर संगठनात्मक विस्तार के काम कर रहे हैं. आम लोगों से जन सम्पर्क स्थापित करने के साथ वे लगातार लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए सक्रिय दिखते हैं. उनकी यह सक्रियता उन्हें वैशाली में एक विशिष्ट पहचान दे रही है, यानी वे यहां एक लोकप्रिय चेहरे के रूप में खुद की पहचान बना चुके है. 

पहले से ही विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव रखने वाले संजय सिंह के लिए वैशाली का सामाजिक समीकरण भी मुफीद है. दरअसल, 1977 में वैशाली लोकसभा का गठन हुआ. उसके बाद हुए 13 लोकसभा चुनावों में यहां से 11 बार राजपूत बिरादरी के उम्मीदवार की जीत हुई है. 2 बार भूमिहार प्रत्याशी सफल रहे. सबसे ज्यादा 5 बार राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने वैशाली का नेतृत्व किया. वहीं 2014 से बदले सियासी समीकरण के बाद यह सीट एनडीए के कब्जे में है. ऐसे में राजपूत जाति से आने वाले संजय सिंह के सहारे चिराग पासवान यहां एक बड़े सियासी उलटफेर की उम्मीद लगाए हैं. 

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दरअसल, वैशाली में सर्वाधिक मतदाता राजपूत बिरादरी से आते हैं. माना जाता है कि करीब 3.5 लाख से 4 लाख के बीच राजपूत मतदाता हैं. वहीं 1.5 लाख के आसपास पासवान वोटर हैं. भूमिहार मतदाताओं की संख्या यहां करीब 2 लाख है. एनडीए के लिए इन जातियों के वोटों को उनका कोर वोट बैंक माना जाता है. वहीं संजय सिंह ने वैशाली के सभी विधानसभा सीटों पर यादव (करी 1.5 लाख वोटर), मल्लाह (करीब 1 लाख), कुशवाहा (करीब 1 लाख) और मुस्लिम (करीब 2 लाख) जातियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लगातार सक्रियता दिखाते रहे हैं. 

संजय सिंह ने पिछले दिनों यहां नव वर्ष पर करीब 1 लाख कैलेंडर बांटे. इतना ही नहीं वे पिछले कुछ महीनों के दौरान पंचायत स्तर पर लगातार जन सम्पर्क कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि एनडीए में वैशाली सीट पर दावेदारी ठोक रहे चिराग पासवान अब संजय सिंह को यहां से सक्रिय कर अपने चाचा पशुपति पारस को पटखनी देने में जुट गए हैं. यानी कई बड़े सियासी फेरबदल का गवाह रहे वैशाली में एक और फेरबदल आगामी चुनाव में दिखने की संभावना है.