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नवरात्र विशेष : सारण का प्रसिद्ध शक्तिपीठ अम्बिका भवानी मंदिर, जहां मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति, ऐसे होती है माँ की पूजा...

नवरात्र विशेष : सारण का प्रसिद्ध शक्तिपीठ अम्बिका भवानी मंदिर, जहां मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति, ऐसे होती है माँ की पूजा...

CHAPRA : सारण जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर दिघवारा प्रखंड क्षेत्र के आमी गांव में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां अम्बिका भवानी मंदिर सम्पूर्ण देश का एकमात्र शक्तिपीठ है। जहां मां की मिट्टी के पिडी रुप में पूजा अर्चना की जाती है। मां के मंदिर में किसी प्रकार की मूर्ति नहीं है। यही कारण है कि आज भी आमी गांव के आसपास के गांवों में माता की किसी प्रकार की मूर्ति रखकर पूजा अर्चना नहीं की जाती है। अंबिका भवानी शक्तिपीठ आस्था, भक्ति एवं विश्वास की असीमित सता को अपने आप में समेटे हुए है। 

दूर दूर से आते हैं श्रद्धालु

मां में अटूट आस्था एवं विश्वास के कारण यहां प्रदेश सहित देश भर से श्रद्धालु पहुंचकर मां की पूजा अर्चना करते हैं। वैसे तो अंबिका भवानी मंदिर में वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्रि के अवसर पर अंबिका भवानी मंदिर भक्तों की भीड़ कई गुना बढ़ जाती है। नवरात्रि के अवसर पर रात्रि के समय होने वाली मां की पूजा अर्चना आर्कषण का प्रमुख केन्द्र है। कहा जाता है कि मां अम्बिका भवानी के दरबार में हर किसी की मुराद पूरी होती है। अम्बिका भवानी शक्तिपीठ में दीर्घायु, संतान प्राप्ति एवं सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना को लेकर श्रद्धालु भारी तादाद में पहुंचते हैं। मन की मुराद पूरी होने पर भक्त पुनः मां को चुनरी चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं।

दक्ष प्रजापति की यज्ञ स्थली है आमी

पौराणिक कथाओं एवं सारण गजेटियर के अनुसार अंबिका भवानी मंदिर राजा दक्ष प्रजापति की यज्ञ स्थली पर अवस्थित माना जाता है। यही माता सती ने पति भगवान शिव के निरादर से नाराज़ होकर हवन कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया था। देवी सती के आत्मदाह करने से क्रोधित होकर भगवान शंकर ने देवी सती का शव हवन कुंड से निकालकर कंधे पर रखा और तांडव नृत्य करने लगे। प्रलय की आशंका को देखते हुए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए देवी सती के शरीर के टुकड़े जहां गिरे। वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। कुंड में जलते समय मां सती के शरीर की भस्म युक्त अस्थी ,(यज्ञ स्थली आमी) में ही रह गई थी। यही स्थान अंबिका स्थान आमी के रूप में प्रसिद्ध हुआ। वही मार्केण्डय पुराण तथा दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि कालांतर में राजा सूरथ व समाधि वैश्य ने मिट्टी की भागाकार पिड बनाकर इसी स्थान पर वर्षों तक पुजा की थी। तब देवी ने प्रकट होकर मनचाहा वरदान दिया था। इस मंदिर में वहीं मिट्टी की भगाकार पिंड आज भी विद्यमान है। जिसकी विधि विधान पूर्वक वर्षों से पूजा अर्चना की जा रही है। मंदिर में किसी प्रकार की मूर्ति नहीं है।

नवरात्रि में विशेष इंतजाम

सारण जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ अम्बिका भवानी मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर आने वाले भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो। इसके लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। मंदिर के आसपास के क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त रखा गया है। वहीं साफ सफाई एवं गंगा नदी के तटों को दुरुस्त किया गया है। दिघवारा एवं छपरा की और से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए क्षतिग्रस्त रास्तों की मरम्मत की गई है। साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है।

छपरा से शशि सिंह की रिपोर्ट

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